सद्भावना ट्रस्ट, 2009 से लखनऊ शहर की बस्तियों में ज़रूरतमंद समुदाय के साथ काम रही हैं। संस्था विशेषकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सामाजिक मुद्दे पर नज़रिया निर्माण करके उन्हें नेतृत्व में लाने का काम करती हैं। साथ ही युवा महिलाओं को तकनीकि कौशल का हुनर देते हुये उनको सशक्तीकरण एवं आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
हिंदी की समस्या यह है कि उसके प्रति लोक में उतनी जागरूकता नहीं है, जितना राजभाषा के संदर्भ में होनी चाहिए। ‘राजभाषा हिंदी और अस्तित्व बोध’ पुस्तक इसी जागरूकता को बढ़ाने का प्रयास है। यह कहना है, वरिष्ठ पत्रकार और प्रसार भारती के कंसल्टेंट उमेश चतुर्वेदी का। दिल्ली पुस्तक मेले के आखिरी दिन इस पुस्तक के औपचारिक लोकार्पण के मौके पर उन्होंने यह बात कही।