तुम दुनिया से जरूर गऐ लेकिन हमारे दिल से नहीं...

कोरोना संकट से अभी दुनिया उभर भी नहीं पाई है कि हमें एक और काला समाचार मिल गया। जी हॉं... हम हिंदी सिनेमा के एक बेहतरीन और जाने-माने सितारे ऋषि कपूर के बारे में बात कर रहे हैं।अब हमारे बीच चांदनी फिल्म के रोहित गुप्ता नहीं रहे।

अभिनेता ऋषि कपूर को श्रद्धांजलि

फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर का 30 अप्रैल को मुंबई में कैंसर से निधन हो गया। बुधवार को सांस लेने में तकलीफ की वजह से उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। ऋषि‌ कपूर पिछले साल सितंबर महीने में न्यूयॉर्क से कैंसर का इलाज कराके मुंबई लौटे थे।

महिला सशक्तीकरण की प्रतिमूर्ति रही हैं जानकी: विभय कुमार झा

आज जानकी नवमी है यानी जगतजननी सीता का प्रकाटय दिवस। स्वयंसेवी संस्था अभ्युदय के अध्यक्ष विभय कुमार का कहना है कि आज हम कितना भी महिला सशक्तीकरण की बात कर लें, लेकिन सत्य तो यही है कि जितना अधिक महिला सशक्तीकरण मिथिला में रहा है, वैसा उदाहरण कहीं और नहीं मिलता है।

प्रकृति का सुहाना मोड़

सड़कों पर सन्नाटा, दफ्तरों, कारखानों और सावर्जनिक स्थानों पर पड़े ताले से भले ही मानव जीवन में ठहराव आ गया है, लेकिन लॉकडाउन के बीच प्रकृति एक नयी ताजगी महसूस कर रही है। हवा, पानी और वातावरण साफ हो रहे हैं। हम इंसानों के लिए कुछ समय पहले तक ये एक सपने जैसा था। इन दिनों प्रकृति की एक अलग ही खूबसूरती देखने को मिल रही हैं जो वर्षों पहले दिखाई देती थी।

नहीं रहे बॉलीवुड स्टार इरफान खान

बॉलीवुड एक्टर इरफान खान का बुधवार, 29 अप्रैल को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 53 साल के थे। इरफान को न्योरेंडॉक्राइन कैंसर था। एक दिन पहले ही उन्हें कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इरफान अपने पीछे अपनी पत्नी सुतापा और 2 बेटे बबिल और अयान को छोड़ गए हैं। अभी हाल में 4 दिन पहले उनकी अम्मी सतीदा बेगम का निधन जयपुर में हो गया था।

इरफान खान का जन्म 9 जनवरी 1949 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था। उनका पूरा नाम शहाबजादे इरफान अली खान था। 23 फरवरी, 1995 को उन्होंने सुतपा सिकदर के साथ शादी की।

वह 85 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय कर चुके थे। उनमें से कुछ फिल्म हैं- हिंदी मीडियम, ब्लैकमेल, द लंचबॉक्स, अंग्रेजी मीडियम, पिकू, करीब-करीब सिंगल, बिल्लू, मदारी, पान सिंह तोमर, हैदर और कारवां। इरफान खान हॉलीवुड में भी जाना-पहचाना नाम था। उन्होंने द वारियर, द नमसेक, रोग जैसी फिल्मों के जरिए अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मानवाया था।

सन 2011 में उन्हें पद्मश्री से सम्मनित किया गया था। 2012 में इरफान खान को फिल्म पान सिंह तोमर में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था। 2004 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला था।

इरफान खान को दोपहर 3 बजे मुंबई के वर्सोवा कब्रिस्तान में दफनाया गया। लॉकडाउन के कारण अंतिम संस्कार में ज्यादा लोग नहीं पहुंच पाएं। मशहूर गायक और संगीतकार विशाल भारद्वाज उनके अंतिम समय में उनके परिवार के साथ थे।
-प्रेरणा यादव
एमिटी यूनिवर्सिटी, कोलकाता

इरफान खान के निधन पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ने जताया शोक

फिल्म अभिनेता इरफान खान का बुधवार, 29 अप्रैल को निधन हो गया। मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में उन्होंने 54 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। इरफान काफी लंबे समय से बीमार थे। इरफान खान के निधन पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के प्रभारी निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने शोक प्रकट किया है। प्रो. सुरेश शर्मा ने कहा कि आज राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ने अपने परिवार के एक अत्यंत मेधावी और प्रतिभावान सदस्य को तो खोया ही है, ये भारतीय कला और सिने जगत के लिए भी एक अपूर्णीय क्षति है। इरफान खान की पत्नी सुतापा सिकदर विद्यालय में उनकी सहपाठी थीं। दुख की इस घड़ी में शोक संतप्त परिवार को हम भावपूर्ण श्रद्धांजलि प्रेषित करते हैं।

उन्होंने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अभिनेता इरफान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सन् 1987 के स्नातक थे। उन्होंने यहां से अभिनय विशेषज्ञता में अपना प्रशिक्षण पूरा किया। अपने छात्र जीवन के दौरान इरफान द्वारा अभिनीत कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तुतियां थीं कार्लो गोल्डोनी कृत द फ़ैन, मैक्सिम गोर्की का नाटक लोअर डेप्थस, ज्यां आनुई का लड़ाकू मुर्ग़ा तथा रूसी नाटककार की रचना ऐसेंट ऑफ़ फ्यूजियामा। सभी प्रस्तुतियों में आपका अभिनय अद्वितीय था। पद्म श्री से सम्मानित इरफ़ान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के उन गिने चुने अभिनेताओं में से थे जिन्होंने बतौर अभिनेता अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की अनेक भारतीय व विदेशी फ़िल्मों में बेहतरीन अभिनय किया।

कोरोना के कोहराम में प्लाज्मा थेरेपी रामवाण हो सकता है डुबते को तिनका सहारा

कोरोना जैसी बैfश्वक महामारी के दंश से भारत ही नहीं ,वरन सम्पूर्ण विश्व में कोहराम मचा है, सम्पूर्ण मानव जाति / अपने आप को महाशक्ति के राष्ट्राध्यक्ष अपने आप को सर्वाच्य  शक्ति मानते हुए परमाणु बम की घमकी बातों बात देते थे,वह महाशक़ि आज कोरोना के सुक्ष्म वायरस कं आगे घुटने टेकने को विवश है, ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी इन दिनों काफी सुर्खियों में है, इसे वर्तमान समय में फैली महामारी के इलाज के कारगर तरीके के रूप में देखा जा रहा है। इन दिनों प्लाज्मा थेरेपी पर अनुसंधान किया जा रहा है, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि इससे कोरोनावायरस का इलाज संभव है अथवा नहीं। इसी कारण, लोगों के मन में इस थेरेपी को लेकर काफी सारे सवाल हैं, जैसे प्लाज्मा थेरेपी क्या है, इसका इस्तेमाल कैसे और कब किया जाता है इत्यादि।

हालांकि, वे इन सवालों का उत्तर जानने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें संतुष्टि नहीं मिल पा रही है। यदि आप भी इस थेरेपी के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें हम प्लाज्मा थेरेपी की पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।

प्लाज्मा थेरेपी क्या है?
प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लास्माफेरेसिस (plasmapheresis) नाम से जाना जाता है। प्लाज्मा थेरेपी से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं (blood cells) से अलग किया जाता है। इसके बाद यदि किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्थी टिशू मिलते हैं, तो उसका इलाज समय रहते शुरू किया जाता है।

प्लाज्मा थेरेपी को क्यों किया जाता है?
हालांकि, प्लास्माफेरेसिस आधुनिक मेडिकल साइंस की देन है, जिसने काफी सारे लोगों की ज़िदगी को बदल दिया है। इसके बावजूद, राहत की बात है कि इसे सामान्य स्थितियों में नहीं बल्कि इसे कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए किया जाता है। अत: प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से इन 5 उद्देश्य के लिए किया जाता है-

संक्रमण का पता लगाना- प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है। चूंकि, काफी सारी बीमारियाँ संक्रमण के द्वारा होती है, इसलिए ऐसी बीमारियों का इलाज करने में प्लाज्मा थेरेपी काफी कारगर उपाय साबित होती है।
डोनर पार्ट का सही तरीके से काम न करना- वर्तमान समय में काफी सारे ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, मगर कई बार ये असफल साबित हो जाते हैं।जब ट्रांसप्लांट कराने वाले लोगों के लिए डोनर पार्ट सही तरीके से काम नहीं करता है, तब उन्हें प्लाज्मा थेरेपी सहायता करती है।
खेल में चोट (Sport Injury) लगना- कई बार, खेल में चोट का इलाज करने के लिए फ्लास्माफेरेसिस का सहारा लिया जाता है। इस प्रकार, इस थेरेपी को स्पोर्ट्स इंजरी को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
मायस्थीनिया ग्रेविस का इलाज करना- जब कोई व्यक्ति मायस्थीनिया ग्रोविस (Myasthenia gravis) से पीड़ित होता है, तो उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी की सहायता करते हैं।
मायस्थीनिया ग्रोविस से तात्पर्य ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें लोगों की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं।
गुलियन बेरी सिंड्रोम का इलाज करना- अक्सर,प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल गुलियन बेरी सिंड्रोम (Gullian Berry Syndrome) का इलाज करने के लिए भी किया जाता है। गुलियन बेरी सिंड्रोम रोग-प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने की बीमारी है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ता है और उनके बीमार होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।

प्लाज्मा थेरेपी को कैसे किया जाता है?
प्लाज्मा थेरेपी एक दिन की प्रक्रिया है, जिसमें 1-3 घंटे का समय लगता है। इसे काफी सावधानी से किया जाता है, ताकि इसे कराने वाले लोगों को किसी तरह के दर्द या तकलीफ़ महसूस न हो।

इसमें कुछ महत्वपूर्ण स्टेप्स शामिल हैं, जो इस प्रकार हैं-
स्टेप 1:सुई को लगाना- प्लाज्मा थेरेपी की शुरूआत सुई लगाकर होती है, जिसमें लोगों की बाँह में लगाया जाता है।
स्टेप 2: खून को निकालना- सुई लगाने के बाद खून निकाला जाता है, जिसके लिए अपकेंद्रित मशीन (centrifuge machine) का इस्तेमाल किया जाता है।
स्टेप 3:प्लाज्मा का निर्माण या तैयार करना- प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले व्यक्ति के शरीर से खून निकालने के बाद डॉक्टर प्लाज्मा का निर्माण या तैयार किया जाता है।
स्टेप 4: इंजेक्शन लगाना- जैसे ही प्लाज्मा का निर्माण किया जाता है, तब उसके इंजेक्शन को लोगों के शरीर में डाला जाता है।
स्टेप 5: इंजेक्शन वाली जगह को साफ करना- लोगों के शरीर में प्लाज्मा के इंजेक्शन डालने के बाद ही यह प्रक्रिया समाप्त हो जाती है। इसके बाद,इंजेक्शन वाली जगह को साफ करने के बाद बैंडेज की जाती है।

प्लाज्मा थेरेपी के लाभ क्या है?
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल काफी सालों से किया जा रहा है, जिसका लाभ काफी सारे लोगों को मिला है।

इसके अलावा, डॉक्टर भी प्लाज्मा थेरेपी कराने इसलिए देते हैं, क्योंकि इसके काफी सारे लाभ होते हैं, जिनमें से मुख्य 5 इस प्रकार हैं-
रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना- प्लाज्मा थेरेपी कराने का सबसे बड़ा लाभ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। जिस लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहतर या मजबूत होती है, उनके बीमार होने की संभावना काफी कम रहती है।
अन्य बीमारियों का इलाज करना- यह थेरेपी चेहरे,बाल,चेहरे इत्यादि से जुड़ी समस्याओं का भी समाधान करने में भी कारगर साबित होती है।इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी से इन समस्याओं को भी ठीक किया जा सकता है।
समय की बचत होना- जहां एक ओर, कुछ सर्जरी में काफी समय लगता है, वहीं दूसरी प्लाज्मा थेरेपी में काफी कम (3-5 घंटे) समय लगता है। इसकी वजह से, लोगों को इस थेरेपी को कराने पर समय की बर्बादी नहीं होती है।
दर्द महसूस न होना- प्लाज्मा थेरेपी का अन्य लाभ दर्द महसूस न होना भी है। जब इस थेरेपी को किया जाता है, तो इसे कराने वाले लोगों को किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता है।
जल्दी रिजल्ट आना या दिखना- इस थेरेपी के काफी सारे ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें इसे कराने वाले लोगों को आराम मिलता है। इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी का अन्य लाभ जल्दी रिजल्ट आना या दिखना है।

प्लाज्मा थेरेपी के संभावित खतरे क्या हो सकते हैं?
हालांकि, प्लाज्मा या प्लास्माफेरेसिस थेरेपी को काफी कारगर तरीका माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी अन्य मेडिकल प्रक्रिया की तरह प्लाज्मा थेरेपी के भी कुछ संभावित खतरे होते हैं, जिनकी जानकारी सभी लोगों को होनी चाहिए। इस प्रकार, यदि कोई इस थेरेपी को कराता है, तो उसे निम्नलिखित खतरों का सामना करना पड़ सकता है-

संक्रमण होना- हालांकि, प्लाज्मा थेरेपी को संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद यह समस्या इसके बाद भी रह सकती है। अत: इस थेरेपी का प्रमुख खतरा संक्रमण होना है।
नस का खराब होना- कई बार,प्लाज्मा थेरेपी का असर नस पर भी पड़ सकता है, जिसकी वजह से नस खराब हो सकती है।
बेहोशी होना- अक्सर, इस थेरेपी को कराने वाले कुछ लोग बेहोशी या कमज़ोरी रहने की शिकायत करते हैं। इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी से लोगों को कमज़ोरी महसूस हो सकती है।
ब्लड क्लोट्स होना- प्लाज्मा थेरेपी की वजह से ब्लड क्लोट्स की संभावना भी बढ़ सकती है। हालांकि, ब्लड क्लोट्स का इलाज संभव है, लेकिन इसके बावजूद इसके लाइलाज रहने पर यह गंभीर समस्या बन सकती है।
धुँधला दिखाई देना- इस थेरेपी का असर मानव-शरीर के अन्य अंगों जैसे आंखों पर भी पड़ सकता है। इस कारण, प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले लोगों को धुँधला दिखाई देने (blurred vision) की समस्या हो सकती है।

प्लाज्मा थेरेपी के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
ऐसा माना जाता है कि किसी भी सर्जरी या ऑपरेशन के बाद का समय काफी संवेदनशील होता है, जिसमें पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। यह बात प्लाज्मा थेरेपी पर भी लागू होती है क्योंकि इसके बाद लोगों में खतरे होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।

इस प्रकार, यदि किसी व्यक्ति ने हाल ही में इस थेरेपी को कराया है तो उसे इन 5 बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए ताकि वह जल्दी से ठीक हो सके-
अधिक मात्रा में पानी पीना- प्लाज्मा थेरेपी के बाद लोगों के शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसके लिए इस थेरेपी को कराने वाले लोगों को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि उन्हें यह समस्या न हो।
थेरेपी वाली जगह पर बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल न करना- चूंकि, थेरेपी वाली जगह पर दर्द महसूस हो सकती है। इस कारण इस थेरेपी को कराने वाले लोगों को थेरेपी वाली जगह पर बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ताकि यह दर्द न बढ़े।
नशीले पदार्थों का सेवन न करना- प्लाज्मा थेरेपी के बाद लोगों को अपने खान-पान और सेहत पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। अत: उन्हें नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये उनकी सेहत को खराब कर सकते हैं।
दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करना- किसी भी अन्य मेडिकल प्रोसिस की तरह प्लाज्मा थेरेपी के बाद भी लोगों को दर्द हो सकता है। इस प्रकार, इसे कराने वाले लोगों को दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करना चाहिए ताकि यह दर्द कम हो सके।
डॉक्टर के संपर्क में रहना- प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे डॉक्टर के संपर्क में रहें। उन्हें समय-समय पर डॉक्टर से मिलना चाहिए ताकि उनकी सेहत का पता चल सके। यकीनन रूप से दुनियाभर में काफी सारी नई-नई बीमारियाँ देखने को मिलती हैं, जिनकी वजह से काफी सारे लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है। ऐसे ही हालात इस दौर में फैली कोरोनावायरस से सामने आ रहे हैं, जिसके चपेट में अमेरिका, चीन, इटली इत्यादि सभी बड़े-बड़े देश आ चुके हैं। भारत में इन्हीं देशों में शामिल हैं, लेकिन राहत की बात यह है कि भारत में इससे मरने वालों की संख्या थोड़ी कम है।भारत में प्लाज्मा थेरेपी के साथ दुनिया को कोरोनावायरस से ठीक होने की उम्मीद दी है, जिसके परीक्षण के परिणामों का इंतजार सभी लोगों को है।

इसके अलावा, लोगों में भी प्लाज्मा थेरेपी को लेकर तरह-तरह की बातें सुनने को मिलती हैं, जिन्हें दूर करके उन्हें इस थेरेपी की सही जानकारी देने की कोशिश करनी की सख्त जरूरत है। इस प्रकार, हमें उम्मीद है कि आपको इस लेख को पढ़ने के बाद इस थेरेपी से जुड़ी आवश्यक जानकारी मिली होगी, जो आपके मन में कोरोनावायरस के प्रति फैले डर को कम करने में सहायक साबित होगी।

सबसे अधिक पूछे जाने वाले सवाल
Q1. प्लाज्मा थेरेपी के बाद किन चीज़ों का परहेज़ करना चाहिए?
Ans- प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले लोगो को कुछ चीज़ों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
उन्हें हॉट बाथ, डॉक्टर की सलाह के बिना किसी दवाई का सेवन न करना, नशीले पदार्थों का सेवन न करना इत्यादि चीज़ों का परहेज़ करना चाहिए।
Q2. प्लाज्मा थेरेपी के बाद कौन-सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
Ans- जितना यह जानना जरूरी है कि प्लाज्मा थेरेपी के बाद किन चीज़ों का परहेज़ करना चाहिए, उतना यह जानना भी जरूरी है कि इस थेरेपी के बाद कौन-सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
इस प्रकार, इस थेरेपी कराने वाले लोगों को धूप के संपर्क में न आना, भारी या मेहनत वाली एक्सराइज़ न करना, स्विमिंग न करना इत्यादि सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
Q3. क्या पी आर पी थेरेपी से कैंसर फैलता है?
Ans- हालांकि,अभी तक ऐसा कोई मामला देखने को नहीं मिला है, कि पी आर पी से कैंसर हो।
इसके बावजूद, इसके बाद लोगों को सभी तरह की सावधानियों का पालन करना चाहिए ताकि उन्हें संभावित खतरों से बचा जा सके।
Q4. प्लाज्मा थेरेपी कितना कारगर होती है?
Ans- प्लाज्मा थेरेपी को लेकर अलग-अलग कथन देखने को मिलते हैं।
जहां एक ओर, कुछ अध्ययनों से पता चला है कि इस थेरेपी का लाभ सभी लोगों को नहीं मिलता है, तो वही दूसरी ओर, कुछ अध्ययनों से स्पष्ट है कि यह थेरेपी कम खतरनाक वाली है।
Q5. प्लाज्मा थेरेपी की सफलता दर कितनी है?
Ans- इस थेरेपी को कराने के 24 हफ्तों बाद लगभग 84 प्रतिशत लोगों में देखा गया है कि उनके दर्द में 25 प्रतिशत कमी आती है।
इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी सफल प्रक्रिया है, यह कहना गलत नहीं होगा।
Q6. क्या पी आर पी के बाद एक्सराइज़ की जा सकती है?
Ans- पी आर पी इंजेक्शन लेने के 1 हफ्ते तक लोगों को आराम करना चाहिए। ऐसा करने किसी भी व्यक्ति के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है, इसलिए कुछ समय के लिए उन्हें एक्सराइज़ से परहेज़ करना चाहिए।
Q7. चेहरे के लिए प्लाज्मा थेरेपी के कितने सेशन की जरूरत होती है?
Ans- लोगों को प्लाज्मा थेरेपी के 4 हफ्ते अंतराल में 3-4 सेशन लेने पड़ सकते हैं। शुरूआती 4 सेशन के बाद डॉक्टर इस थेरेपी को कराने वाले लोगों को 6 महीने से 1 साल तक क्लीनिक पर बुलाते हैं, ताकि इस इलाज को सही तरीके से किया जा सके।

भारत भ्रमि तो विभिन्न घर्म,  संस्कृति,संत ,महात्मा, पीर - फकीर, देव - दुतों  शिक्षा विदों ,वैज्ञानिक, विचारको मिन्न मिन्न घर्म  - सम्प्राय मानने वाले का देश है। 1.30 करोड की पूजा चाठ ,यज्ञ हवन  दुआ ,प्रार्थना के आस्था है ,दिल्ली में सफल  परीक्षण के वाद कई राज्यसरकार फ्लाजमा थैरेपी का परीक्षण करने का प्रयत्न कर रही है, आशा की किरणों ,सफलता मिलेगी एक दिन ,करोना हारेगा, भारत जीतेगा

-  बिनोद तकिया वाला

मधुबनी में कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद प्रशासन ने उठाए त्वरित कदम

मधुबनी में कोरोना पॉजिटिव पांच लोगों के मिलने के बाद जिस तरह से जिला प्रशासन ने उनके घर को चिन्हित करते हुए 3 किमी के क्षेत्र को कंटेनमेंट एरिया घोषित किया है वह प्रशंसनीय है। इससे कोरोना के फैलने की आशंका पूरी तरह से खत्म की जाएगी। प्रेस एसोसियेशन के कोषाध्यक्ष और मिथिला विकास के लिए कार्यरत संतोष ठाकुर ने कहा कि कोरोना पॉजिटिव मिलने पर बिना समय गंवाए 3 किमी का एरिय कंटेंमेंट क्षेत्र घोषित करना प्रशासनिक दक्षता और सजगता को साबित करता है। इसके लिए जिला अधिकारी डा. नीलेश के कदम प्रशंसनीय है।
संतोष ठाकुर ने कह कि बिहार का मधुबनी जिला कोरोना पर प्रभावी रोक लगाने के लिए देश भर में प्रशंसा हासिल कर रहा है। जिस तरह से नेपाल के साथ खुली सीमा होने के बाद भी डा. नीलेश देओरे ने यहां पर सीमाबंदी की वह उल्लेखनीय है। संतोष ठाकुर ने कहा कि कलुआही, भौआड़ा, मधेपुर, झंझारपुर ऐसे स्थान है जो काफी अंदर की ओर है। ऐसे में लॉकडाउन के एक महीने के बाद वहां पर पॉजिटिव केस मिलना कुछ संदेह भी उत्पन्न करता है। इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या वे बाहर से आए हैं। अगर हां तो उन्हें क्या बिना जांच के आने दिया गया। यहां आने के बाद क्या उनकी जांच में किसी तरह की लापरवाही हुई।

संतोष ठाकुर ने कहा कि यह सभी के लिए जरूरी किया जाए कि वे जब भी कहीं बाहर से मधुबनी सीमा के अंदर आए तो जिला अस्पताल या सीमा प्रवेश करते ही पड़ने वाले पहले स्वस्थय केंद्र से अपनी जांच कराने के बाद ही अपने गांव में प्रवेश् करें। संतोष ठाकुर ने कहा कि जिला प्रशासन के कोरोना से युद्ध में जिला का हर पत्रकार साथ है। डा. निलेश के आहवान पर हर पत्रकार उनके साथ कोरोना युद्ध में शामिल होने के लिए तत्पर है।


समाजसेवा कोई करें, भला तो जनता का ही होगा: विभय कुमार झा

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने मानवीय समाज को अंत्योदय की परिकल्पना दी। उनकी इच्छा थी कि समाज के निचले तबके तक योजनाओं का लाभ पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार इस मंशा से काम कर कर रही है। संघ के स्वयंसेवक भी जमीनी स्तर पर समस्याओं के समाधान के लिए लगातार कार्य कर रहते हैं। वर्तमान में जिस प्रकार से कोरोना महामारी के कारण पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो चुकी है, वैसे में हम जैसे समाज से जुडे लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। गांव-कस्बा का एक भी व्यक्ति भूख से नहीं व्याकुल हो, यही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए अभ्युदय संस्था लगातार कार्य कर रही है। बीते 25 साल से अभ्युदय सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए कार्य कर रही है। ये कहना है कि स्वयंसेवी संस्था अभ्युदय के वर्तमान अध्यक्ष विभय कुमार झा का।

अभ्युदय के अध्यक्ष विभय कुमार झा ने कहा कि हमें गर्व का अनुभव होता है कि मैं भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा हूं। पार्टी नेताओं के द्वारा जब भी कोई जिम्मेदारी दी गई है, मैंने उसको बेहतर निर्वहन किया है। मिथिला की माटी में जन्म लेने के कारण मेरा यह पुनीत कर्तव्य है कि मैं मिथिला के लोगों के बीच रहूं और उनकी सेवा करूं। विभय कुमार झा ने कहा कि बेशक मैं अधिकतर समय दिल्ली में रहा, लेकिन जब कोरोना के रूप में विपत्ति आई, तो मुझे मिथिला आकर अपने लोगों के लिए काम करना जरूरी लगा। यही मेरा कर्तव्य भी है। इसलिए मैंने अपनी संस्था अभ्युदय के माध्यम से सबसे पहले मधुबनी में सामाजिक सहयोग का कार्य किया। कुछ क्षेत्रों में रहिका कोरोना वारियर्स के युवा साथियों का बेहतर साथ मिला।

युवा भाजपा नेता और अभ्युदय के राष्ट्रीय अध्यक्ष विभय कुमार झा कहते हैं कि अब यह देखकर बेहद खुशी होती है कि मेरे सामाजिक कार्य की खबरें जब स्थानीय लोगों और मीडिया के माध्यम से कुछ और नेताओं व समाजसेवियों तक पहुंची, तो वे लोग भी क्रियाशील हुए। क्षेत्रों में जाने लगे। कुछेक लोगों की मदद करने लगे। मैं ऐसे तमाम लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने हमारे मधुबनी जिले के आम आवाम के लिए काम करना शुरू किया। मिथिला के लिए सोचा। हमारे लिए इससे अधिक खुशी की बात और क्या हो सकती है। विभय कुमार झा ने तमाम समाजसेवियों और नेताओं से आहवान किया है कि आइए, अपने मिथिला के लिए काम करें। काम कोई करें, भला तो जनता का होगा। हमारे मिथिला का होगा।



राशन दुकानों का औचक निरीक्षण हो, हर गरीब को मिले अनाज

नया मिथिला- नया बिहार अभियान के संयोजक और पत्रकार संतोष ठाकुर ने बिहार सरकार से मांग की है कि राशन दुकानों का औचक निरीक्षण हो और यह सुनिश्चित किया जाए कि हर गरीब को अनाज मिले।

उन्होंने कहा कि यह शिकायत आ रही है असली जरूरतमंदो के अनाज को कई जगह उन्हें न देकर काला बाजार में बेचा जा रहा है। इन आरोपों की जांच होनी चाहिए। मिथिलांचल में इसको लेकर अभियान तेज किया जाना चाहिए।

उन्होंने रमजाान शुरू होने की शुभकामना भी दी और कहा कि रमजान पवित्रता का महीना है। इस दौरान हमें सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क प्रयोग को अपनाते रहना चाहिए। उन्होंने सभी से आरोग्य सेतु डाउनलोड करने की अपील भी की।

संतोष ठाकुर ने कहा कि बिहार में करीब 14 लाख और मिथिलांचल में भी लाखों लोगों के पास राशनकार्ड नहीं हैं। उन्हें भी संकट की इस घड़ी में राशन मिलना चाहिए। नियमों की आड़ में उनका हक नहीं छिनना चाहिए। उन्हें भूखे पेट न सोना पड़े, यह देखना चाहिए।

नया मिथिला-नया बिहार अभियान के संयोजक व पत्रकार संतोष ठाकुर ने कहा कि मधुबनी, दरभंगा सघन जिला है। यहां पर बेनीपटटी, मधुबनी सहित कई विधानसभा क्षेत्र हैं जो काफी सघन है। ऐसे में यहां पर कुछ जगहों पर शिकायतें भी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि समस्त मिथिलांचल में गरीबों को अनाज सुनिश्चित हो इसके लिए हेल्पलाइन या आनॅलाइन शिकायत का तंत्र बनाया जा सकता है। जहां जरूरतमंद अनाज नहीं मिलने पर शिकयत कर पाएं। औचक दबिश से भी स्थिति में सुधार होगा। मिथिलांचल के सभी डीएम अपने दायित्व का समर्पित भाव से निवर्हन कर रहे हैं। उनके निर्देशन में इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

संतोष ठाकुर ने अपील की कि कोरोना के समय में ऐसे गरीब लोग जिनके पास अन्न-खाना की कमी है। उन्हें सामर्थय अनुसार गांव के लोग भोजन-अनाज दें। अन्न दान से बड़ा कोई दान नहीं है। नर सेवा ही नरायण सेवा है। ऐसे में हम मिथिलावासियों  को संकट की घड़ी में दूसरे मिथिलावासी की मदद के लिए तत्पर रहने की जरूरत है।

पत्रकारों का कोरोना टेस्ट, बीमा और किसानों को मुआवजा देने की मांग

कोरोना संक्रमण के प्रकोप को देखते हुए प्रेस एसोसिएशन ने मांग की है कि सरकार सभी पत्रकारों को मुफ्त कोरोना जांच की सुविधा दे साथ ही फील्ड में जाने वाले पत्रकारों को कोरोना योद्धा मानते हुए 50 लाख रुपए की बीमा गारंटी दे.

प्रेस एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष संतोष ठाकुर ने कहा कि इस योजना में ना केवल शहरों बल्कि मधुबनी, दरभंगा, भागलपुर और अन्य ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों को भी शामिल किया जाए. वह दिन रात फील्ड में रहकर जान की बाजी लगाते हुए जनता तक समाचार पहुंचाने का कार्य करते हैं. साथ ही सरकार को भी सजग प्रहरी बनकर जमीनी हकीकत से अवगत कराते हैं.

प्रेस एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष संतोष ठाकुर ने कहा कि न केवल दिल्ली, मुंबई, पटना बल्कि देश के लाखों लाख पत्रकार इस समय कोरोना योद्धा के रूप में कार्यरत हैं. ऐसे में उन्हें भी सामाजिक सुरक्षा और कोरोना टेस्ट की सुविधा उपलब्ध कराने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि मिथिलांचल में लोगों पर दोहरी मार पड़ी है. एक और कोरोना है. तो, दूसरी ओर ओलावृष्टि ने नुकसान किया है. राज्य सरकार ने इसको लेकर कदम भी उठाए हैं. लेकिन इस समय स्थितियों की वजह से कई किसान जिसमें खासकर बाहर से आए बिहार के मूलनिवासी शामिल हैं वे विभिन्न कारणों से अपना इनपुट आवेदन नहीं दे पाए हैं. ऐसे में सरकार सरकार से वह अनुरोध करते हैं की इनपुट आवेदन नहीं देने वाले किसानों को भी मुआवजा योजना का लाभ दिया जाए.

मिथिलांचल के पत्रकारों की राष्ट्रीय प्रतिनिधि संस्था मैथिल पत्रकार ग्रुप ने भी प्रेस एसोसिएशन की इस मांग का समर्थन किया है. उसने कहा है कि मिथिला के सभी पत्रकारों को मुफ्त कोरोना टेस्ट, बीमा और किसानों को ओलावृष्टि से राहत पैकेज दिया जाए.



बेनीपट्टी विधानसभा क्षेत्र मे भाजपा के टिकट को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ी

बिहार में मधुबनी जिला की बेनीपट्टी विधानसभा सीट को लेकर भाजपा के अंदर प्रतिस्पर्धा बढ़ती दिख रही है. यहां से वरिष्ठ पत्रकार संतोष ठाकुर का नाम भी तेजी से सामने आ रहा है.

दिल्ली में राष्ट्रीय राजनीति और केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ ही भाजपा की गतिविधियों को कवर करने वाले संतोष ठाकुर लंबे समय से मिथिला और मैथिली के अभियानों से जुड़े रहे हैं. बेनीपट्टी क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर भी वह सक्रिय रहे हैं.

मूल रूप से मधुबनी जिला के रहने वाले संतोष ठाकुर पत्रकारिता कार्यों को लेकर कई देशों की यात्रा कर चुके हैं. अमेरिका सरकार के प्रतिष्ठित आईवीएलपी फैलोशिप के तहत वह करीब  एक महीना अमेरिका के 5 राज्यों का भी दौरा कर चुके हैं.


दिल्ली में मिथिला मैथिली के लिए लगातार संघर्ष करने वाले संतोष ठाकुर कई रेलगाड़ियों के जयनगर और मिथिलांचल के अन्य क्षेत्रों में विस्तार के लिए भी संघर्षरत रहे हैं. मिथिलांचल में एम्स जल्द शुरू करने को लेकर भी वह लगातार सरकारी विभागों के साथ संपर्क में लगे हुए हैं. उचैठ स्थान को एक राष्ट्रीय स्तर का धार्मिक स्थल बनाने के लिए भी वह पर्यटन विभाग और अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के साथ लगातार संपर्क करते रहे हैं.

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि बेनीपट्टी का सर्वांगीण विकास युवाओं को नौकरी, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा कमजोर व असहायों को सरकारी योजनाओं का  शत-प्रतिशत लाभ दिला कर ही हासिल किया जा सकता है. यह कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही संभव है.