झारखंड का आदिवासी समाज और भूमि का उत्तराधिकार!

यूं तो झारखंड के आदिवासी समाज में औरतों की स्थिति, अन्य समाज की स्त्रियो की तुलना में पुरुष से संपत्ति के अधिकार की हो, तो ये उन सारी महिलाओं से पिछडी है जो अन्य क्षेत्रों में इनका अनुकरण करती है। आपको यह जानकर विस्मय होगा कि राज्य के जनजातीय समाज में महिलाओं को अचल संपत्ति में कोई वंशानुक्रम का अधिकार नहीं दिया जाता है। वर्तमान युग में, जब लैंगिक समानता का विषय विश्व भर में जोरों से चर्चा में है, यह अति अफसोसनाक है कि प्रदेश की आदिवासी महिलाओं को प्रथागत कानून के तहत भूमि के उत्तराधिकार से वंचित रखा गया है।

छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 कि धारा 7 एवं 8 में इस बात का उल्लेख है कि आदिवासी समाज में जमीन का उत्तराधिकार सिर्फ पुरुष वंश में ही किया जा सकता है। अर्थात, समाज की औरतों को इसका कतई अधिकार नहीं। हालांकि अधिनियम कि एक अन्य धारा पर गौर किया जाय तो यह मालूम होता  है कि यादि आदिवासी समाज में भूमि का हस्तांतरण, भेंट अथवा विनिमय किया जाना हो तो इसके लिए वंशानुगत पुरूष अथवा ‘अन्य ‘ योग्य है। जहां एक तरफ संथालपरगना के इलाके में ‘तानसेन जोम’ की परंपरा हैं, वही दूसरी तरफ संथालपरगना काश्तकारी अधिनियम में यह स्पष्ट रूप से अंकित है जमीन के मामले में स्त्रियों को कोई उत्तराधिकार नहीं है। क्या यह विरोधाभास परंपरागत अधिकारों की मुखालफत का नमूना नहीं है?

यह बात बिल्कुल सत्य है कि आदिवासी समाज में जमीन का दर्जा संपत्ति से कहीं ऊपर है। यह विषय इनकी संपूर्ण संस्कृति से जुड़ा हुआ है। अतः समाज ऐसा कोई भी नियम बनाने के विरुद्ध है जिससे उनकी भूमि छिन जाने का संकट हो। मगर जब पूरा समाज ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा हो तो उसे संपूर्ण रूप से अक्षुण्ण रखने की बात की जानी चाहिए। महिलाओं के अधिकारियों की बात इससे परे नहीं हो सकती क्योंकि वे भी इसी समाज का अभिन्न अंग है।

असल में आदिवासी महिलाओं के जमीन में उत्तराधिकार की चर्चा व्यापक स्तर पर तब शुरू हुई जब मधु किश्वर एवं अन्य बनाम बिहार सरकार तथा जूलियाना लड़का एवं अन्य बनाम बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 17 अप्रैल,1996 को महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देने के बाबत अपना निर्णय सुनाया। अदालत ने कहा था कि आदिवासी समाज में महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं है। प्रथागत कानून के तहत उन्हें पिता अथवा पति के जमीन का उत्तराधिकार नहीं बनाया जाता। भारतीय संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक को स्वच्छंदतावाद और समानता का अधिकार प्रदान करने वाले धारा 14,15 एवं 21 के भी इन्हें वंचित रखा गया है। इसपर क्षेत्र के आदिवासियों ने तीव्र प्रतिरोध जताया। स्त्रियों को भूमि का अधिकार दिये जाने के मसले पर आए इस अदालती फैसले का यह कह कर विरोध प्रकट किया गया कि आदिवासियों में जमीन खरीद-फरोख्त की नहीं है।

झारखंड के अधिकांश आदिवासी घरों में महिलाएं ही घर की आर्थिक जिम्मेवारी निभाती हैं। खेत में पुरुष के समक्ष काम करने से लेकर गृहस्थी चलाने के हर महत्वपूर्ण फैसले में उनकी एक अहम भागीदारी होती है। बावजूद इन उपलब्धियों के औरतों को भूमि के उत्तराधिकारी बनने से क्यों वंचित रखा जाय? झारखंड आदोलन के महानायक रामदयाल मुंडा ने भी कहा था कि सैद्धांतिक रूप से जमीन किसी एक की नहीं हो सकती। प्रथा और परंपरा ने इसे पुरुषों का मान लिया और महिलाओं को इससे पृथक कर दिया अन्यथा भूमि तो स्त्री और पुरुष दोनों की है। बदलते समय के साथ जमीन पर मालिकाना हक कायम होता जा रहा है। ऐसे में पति-पत्नी का नाम संयुक्त रुप से जमीन के दस्तावेजो में दर्ज किया जाना चाहिए, इसमें औरतों की न सिर्फ सामाजिक उन्नति होगी बल्कि उनको आथिक आत्मनिर्भरता का अनुभव होगा। झारखंड में विधवा और अकेली महिलाओं को डायन करार कर हत्या किए जाने के मामले में भी ऐसे कदम से कमी आएगी।
-भावना भारती


भारत के 10 सबसे साफ शहर 2020

2020 मे भारत के 10 सबसे साफ शहर कौन से हैं? किसी शहर के साफ होने में वहां की जनता और नगरपालिका का काफी योगदान होता है। अगर शहर की जनता साफ-सफाई के प्रति काफी जागरूक है तो वह अपने शहर को साफ बनाये रखती है। अब भी भारत के ज्यादातर शहर गंदे हैं। ऐसे में गंदे शहरों के लोगो को इन टॉप साफ 10 शहरों से सबक लेनाी चाहिए...



-Maswood Ahmed
Amity University
Kolakata

2019 की टॉप 10 बॉलीवुड फिल्म

हर साल की तरह पिछले साल 2019 में भी बॉलीवुड में कई फिल्में रिलीज हुईं और कुछ फिल्में दर्शकों की कसौटी पर खरी उतरीं। कई फिलमों ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई की पर कई को असफलता का स्वाद भी चखना पड़ा। आइए जानते है 2019 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्में



-Maswood Ahmed
Amity University
Kolakata

तम्बाकू नियंत्रण में उत्कृष्ट कार्य के लिए सीड्स को मिला अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

विश्व स्वास्थ्य संगठन  (WHO) ने तम्बाकू नियंत्रण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए "सोसिओ  इकनोमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स)" को इस वर्ष का विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पुरस्कार देने का फैसला किया है। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर WHO दुनिया के चुनिंदा संस्थाओं और व्यक्तियों को प्रतिवर्ष तम्बाकू नियंत्रण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित करता है। 

राष्ट्रीय स्तर की सामाजिक संस्था सीड्स बिहार और झारखण्ड में तम्बाकू नियंत्रण के क्षेत्र में काम करती है। सीड्स पिछले एक दशक से तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के संचालन में राज्य सरकार को सहयोग दे रही है। सीड्स ने सरकारी, गैर सरकारी संस्था, मीडिया सहित सभी हितधारकों के साथ मिलकर तम्बाकू नियंत्रण हेतु जबरदस्त माहौल तैयार करते हुए दोनों राज्यों में तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम (कोटपा 2003) के अनुपालन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया है। सीड्स के प्रयास से दोनों राज्यों में पान मसाला,  गुटखा, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एवं अवैध हुक्का पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया है।


सीड्स के प्रयास से बिहार और झारखण्ड में तम्बाकू सेवन करने वालों की संख्या में काफी कमी आई है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS 2017) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले आठ वर्षों में बिहार में तम्बाकू सेवन करने वालों की संख्या 53.5% से घट कर 25.9% हो गया है, जबकि झारखण्ड में यह संख्या 50.1% से घटकर 38.9% पर आ गया है।

बिहार सरकार के प्रधान सचिव संजय कुमार ने WHO द्वारा SEEDS को पुरस्कृत  किये जाने पर ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि पिछले एक दशक से सीड्स बिहार और झारखंड में जमीनी स्तर पर तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के कार्यान्वयन में राज्य सरकार के लिए एक विश्वसनीय साथी की भूमिका में है। दोनों राज्यों में तंबाकू के उपयोग में भारी कमी SEEDS के प्रयासों का गवाह है। मुझे खुशी है कि WHO ने वर्ल्ड नो टोबैको डे अवार्ड (WNTD 2020) के लिए SEEDS का चयन किया है। संजय कुमार ने बताया कि तम्बाकू नियंत्रण के क्षेत्र में  सीड्स के द्वारा किये गए कार्यों  से प्रभावित होकर सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य तम्बाकू नियंत्रण समन्यवय  समिति का सदस्य भी मनोनीत किया है। साथ ही भारत सरकार के स्वस्थ्य मंत्रालय ने दीपक मिश्रा को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में  “नशा मुक्ति अभियान”हेतु गठित टास्क फोर्स का सदस्य भी नामित किया है।

ग्लोबल तंबाकू नियंत्रण विशेषज्ञ और लूथर टेरी पुरस्कार विजेता श्रीमती डॉ मीरा आगी ने कहा, “बिहार और झारखंड में तंबाकू के उपयोग में गिरावट के कारण बड़े पैमाने पर दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ होंगे। राज्य सरकार और सिविल सोसाइटी के साथ सीड्स  की साझेदारी ने जमीनी स्तर की अच्छी प्रथाओं को विकसित किया है और इन्होने अन्य राज्यों के अनुसरण के लिए  एक अच्छा मॉडल बनाया हैं। डॉ मीरा ने कहा कि सीड्स का यह  प्रयास तम्बाकू के उपयोग को कम करने और युवाओं एवं  कमजोर लोगों खासकर महिलाओं की रक्षा करने में भी मदद करेंगी।

प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) के प्रेसिडेंट ने कहा कि बिहार और झारखंड में तंबाकू सेवन में आई कमी SEEDS के उल्लेखनीय प्रतिबद्ध अभियानों के कारण संभव हो पाया है। दोनों राज्यों में चबाने वाले तंबाकू के उपयोग में आई गिरावट सीड्स द्वारा किये गए कार्यों में विशेष रूप से सराहनीय है। प्रोफेसर  रेड्डी के मुताबिक सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा का समर्पित, मेहनती और रणनीतिक नेतृत्व इस सफलता के पीछे प्रेरक शक्ति रहा है। डब्ल्यूएचओ (WHO) पुरस्कार उनके अनुकरणीय नेतृत्व की पहचान को और मजबूत करता है। हालांकि, जो लोग जानते हैं वे भारत के तंबाकू नियंत्रण आंदोलन के लिए श्री मिश्रा द्वारा लाए गए ऊर्जा और उत्कृष्टता की सराहना करेंगे और उन्हें सलाम करेंगे।

 

धरती का सबसे छोटा बच्चा!

काका उदास थे। उदासी उनके पास कोई पड़ा कारण नहीं था। बदलती आबोहवा से जब भी परेशानी होती है, उदासी उनके चेहरे पर बैठ जाती है। जब कोई चिड़िया गीत गाती हुई फुर्र से उड़ती है या कोई वृक्ष तेज हवा में घूमने लगता है, तब जाकर उनका चेहरा सामान्य हो पाता है। वे बड़ी देर से चुप बैठे थे। जो व्यक्ति खुद में उतर रहा हो या सामने किसी दृश्य को टटोल रहा हो, उसे टोकना अच्छी बात नहीं है। मौन में भी मजे है।

मैं कभी-कभी सोचने लगती हूं कि पृथ्वी पर चिड़िया कब आयी होगी। हठात काका का मौन टूटा। वे मुझसे पूछ रहे थे कि तुम्हें क्या लगता है, पृथ्वी पर मानव पहले आया होगा और बहुत दिनों के बाद जब वह बोर होने लगा होगा, तब चिड़िया बनायी गयी होगी! मुझे चुप देख कहने लगे कि मनुष्य के पास चिड़िया बनाने का कोई हुनर नहीं है। इतने उपकरण और होशियार हो जाने के बाद, अगर आज भी मानव चिड़िया बनाने बैठे तो असफलता ही हाथ लगेगी। इस बात से यह साबित होता है कि मानव बाद में आया होगा, चिड़िया पहले आयी होगी।

वे कहने लगे कि वृक्ष चिड़िया का घर तो होता ही है, साथ ही उनका जीवन भी होता है। पृथ्वी पर पहले वृक्षों को लगाया गया होगा कि चिड़िया आयी होगी, फिर उन्होंने अपने लिए वृक्ष लगाये होंगे। मानव वृक्ष लगा सकता है, लेकिन वह उसका बीज कहां से लाता। पहले बीज फेंक कर उसे पनपने दिया गया होगा और जब पौधे पेड़ बन गये होंगे, तब हाल पर गीत गाने के लिए चिड़िया को उतार दिया गया होगा।

यह सब कहते काका को कुछ और याद आ गया। वे क्षण भर रुके और फिर पूछने लगे कि धरती पर नदियां कब बनायी गयी होगी। जब मनुष्य उतर गया होगा और उन्हें प्यास लगी होगी, तब शायद नदियां बनायी गयी हो। नहीं ऐसा तो बिलकुल भी नहीं हुआ होगा। बीज फेंकने से पहले और चिड़िया को उतारने से पहले ही पानी के बारे में सोच लिया गया होगा। वे कहने लगे कि क्रम कुछ इस तरह का होगा कि पृथ्वी बनाकर पहले नदियों की व्यवस्था की गयी होगी। फिर वृक्ष को उतारा गया होगा। जब वृक्षों और नदियों में तालमेल हो गया होगा, तब चिड़िया को छोड़ दिया गया होगा। तरह-तरह के पशुओं को उतार दिया गया होगा। फिर कुछ दिन इंतजार करने के बाद यह परखा गया होगा कि सबने सबके साथ संबंध प्रगाढ़ कर लिये हैं अथवा नहीं, तब मनुष्य को उतारने के बारे में सोचा गया होगा।

मनुष्य पृथ्वी ग्रह पर सबसे बाद में इन सबका सबसे छोटा बच्चा बनाकर भेजा गया होगा, ताकि वह सब चीजों का ध्यान रखें। लेकिन, वह बड़ा होकर आज अपने इन पूर्वजों को भूल गया है। शायद इसीलिए धरती इन पूर्वजों की उपेक्षा को भूल गया है। शायद इसीलिए धरती इन पूर्वजों की उपेक्षा के कारण ही दिन-प्रतिदिन उदास और कमजोर होती जा रही है।



-भावना भारती

टॉप 10 कोरोना प्रभावित देश

दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। कोरोना वायरस से संक्रमितों की कुल संख्या 35 लाख से ज़्यादा हो गई है। दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना के कहर से लगातार जूझ रही है। इस वायरस की चपेट में आकर दुनिया भर में अब तक 3.45 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। आइए जानते हैं टॉप 10 कोरोना प्रभावित देशों के बारे में -


-Maswood Ahmed
Amity University
Kolakata

भोजन में सलाद की महिमा

कुछ बरस पहले जब महंगाई की मार इस कदर नहीं हुआ करती थी, तब सलाद की प्लेट मुफ्त में ग्राहक को पेश की जाती थी। इस सलाद में प्याज और टमाटर के गोलाकार पतले टुकड़े के साथ एक-दो हरी मिर्च और आधा-चौथाई नींबू ही यथेष्ट समझा जाता था। बड़े रेस्तराओं और घरों में भी सलाद इससे ज्यादा अलग नहीं होता था, मूली-गाजर के साथ खीरे की कुछ फाँक भी उसमें दिख जाती थी। मजेदार बात यह है कि इसे हरा सलाद कहा जाता था, जबकि इसमें हरी धनिया पत्ती नाममात्र को ही होती थी।

अंग्रेजी में जिसे लेट्स कहते हैं, उसका हिंदी में अनुवाद सलाद की पत्ती किया जाता था। जाहिर है, इसका रिश्ता अंगेज साहबों के खान-पान से ही जोड़ा जाता था। वैसे ही जैसे गोलाकार तीखी लाल मारियो को सलाद की मूली कहा जाता था, जाड़े के मौसम में धूप में फुर्सत में बैठे लोग भले ही नमक व मिर्च मसाला के साथ ताजा मूली और गाजर तबियत से खाते हैं, पर इसे सलाद का नाम नहीं दिया जाता।

दक्षिण में खाने को किश्त में बारी-बारी से खाया जाता है। इन किश्तों को कोर्स की संज्ञा दी जाती है। भोजन की उस परंपरा में सलाद सबसे पहले भूख खोलनेवाले कोर्स के रूप में  पेश किया जाता है। बीते कुछ अरसे से हिदुस्तानी दावत में यह चलन जोरों पर है। शादी-ब्याह के लिए अनेक तरह के सलाद को सजाकर रखा जाता है। हिदुस्तानियों के लिए सबसे आम सलाद फलों के टुकड़े का सलाद यानी फ्रुट सलाद है, जो ईस्टर के साथ मिठाई के रूप में खाया-खिलाया जाता है।

विदेशों में अनेक प्रकार के सलाद ताजी सब्जियों, मांस-मछली और अंडो के साथ तैयार किये जाते हैं। कुछ में राजमा, दाल और चावल का इस्तेमाल भी होता है। जो सलाद सबसे ज्यादा मशहूर है, उनमें सीजर सलाद, वॉलडॉर्फ सलाद, चिकेन सलाद और हवाईयन सलाद आदि आते हैं। सीजर सलाद का नामकरण एक मशहूर बावर्ची के नाम पर हुआ है, जिन्होंने इसे इजाद किया था। वैसे इसमें इजाद करने जैसा कुछ था नहीं, शेफ सीजर ने हाथ से सलाद की पत्तियों को टुकड़े करके उन पर जैतून के तेल और सेब की डेसिंग छिड़क दी थी। इसमें जोर हरी पत्तियों पर होता था। वॉलडॉर्फ सलाद होटल के साथ जुड़ा है। इसमें आलू के बड़े-बड़े टुकड़े अखरोट की गिरी और मेयोनेस सॉस के साथ मिलकर तैयार किया जाता है। रूसी सलाद में आलू-चुकंदर और पनीर के टुकड़े के साथ उबलेअंडे और सॉसेज या मांस के टुकड़े भी मेयोनेस के साथ मिलायें जाते हैं। इस सलाद को मशहूर हस्तियों ने पहले-पहल वहीं चखा। रूसी सलाद को हल्का-फुल्का संतुलित भोजन भी कहा जा  सकता है।

हवाइयन सलाद में उबलते या पके मुर्ग के साथ अनायास के टुकड़े भी जरूर होते हैं। चिकेन सलाद कुछ-कुछ देसी चिकेन चाट की तरह होता है, भले ही इसका मसाला हल्का रहता है।

पश्चिमी पाक शास्त्र की पुस्तकों में सेहतमंद भोजन में सलाद का स्थान सबसे ऊपर समझा जाता है और इसे गर्मियों के लिए विशेष रूप से उपर्युक्त भोजन माना जाता है। अब सवाल यह उठता है कि भारत में सलाद का प्रचलन पारंपरिक रूप से क्यों नहीं हुआ? शायद इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि भारत की गर्म और नम आबो हवा में  कच्ची सब्जियों या पहले से पके मांस खाना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता था। भारत के लगभग हर हिस्से में रायता और पत्तियों के अनेक प्रकार खाने को मिलते हैं, जो खाने में सलाद की ही भूमिका निभाते रहे हैं।

-भावना भारती

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मन के नियंत्रण का अभ्यास

भारतवर्ष में जितने भी धर्म या संप्रदाय शुरू हुए हैं, इन सब का एक ही सिद्धांत है कि मनुष्य का मन बहुत चंचल है। चंचलता दूर करके उसका एकाग्र करना बहुत आवश्यक है। बिना मन की एकाग्रता के किसी भी क्षेत्र में मनुष्य को सफलता प्राप्त नहीं हो सकती। चित्त की वृत्तियां अनेक है, चित्त की उन सब वृत्तियों को एकाग्र करने से ही और प्रगाढ़ता आती है। जरा विचारे, सूर्य के किरणें पृथ्वी पर फैली होती है, जब एक आतशी शीशा उनके सामने रखा जाता है तब उनकी किरणों एक बिंदु पर केंद्रित  हो जाती है और उनकी शक्ति आ जाती है। जिस स्थान पर भी वह सूर्य बिंदु केंद्रित होगा वही अपनी शक्ति से अग्नि प्रज्वलित कर देता है। इस प्रकार जो भी मनुष्य अपनी बिखरी हुई शक्तियों को जितना अधिक एकाग्र कर लेता है उसको उतनी ही अधिक सफलता प्राप्त होती है, चाहे वह कर्म लौकिक हो या पारमार्थिक। विद्यार्थी का ही उदाहरण लीजिए - जो विद्यार्थी जितना अधिक मन लगाकर पढ़ेगा उसको उतनी ही अच्छी सफलता मिलेगी। मन की एकाग्रता का यह सिद्धांत प्रत्येक कार्य पर लागू होता है। इसीलिए हमारे सभी धर्म ग्रंथ मन की एकाग्रता पर अधिक महत्व देते हैं क्योंकि बिना इसकी सफलता कठिन ही नहीं वरन और संभव है। संत कबीर साहब ने कहा है।
“मन के मते न चलिए, मन के मते अनेक”

चंचल मन को नियंत्रण करने का उपाय है। युग की तमाम विधियां मन को केवल एकाग्र करने के ही साधन है। हिप्नोटिज्म और मेस्मोरिज्म से भी चित्त वृत्तियों को एकाग्र करना पड़ता है। बिना इसके सफलता प्राप्त नहीं होती। तात्पर्य है कि यदि हम अपने मन के दास बने रहेंगे तो हमारा मन इधर-उधर भटकता रहेगा और हमें किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिल पाएगी। मन को नियंत्रण में रखने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि हम स्वयं को नियंत्रण में रहे और हम जिधर चाहे उसे लगा सके। मन इंद्रियों का राजा है। यदि हमारा मन ही हमारे नियंत्रण में ना रहे तो हमारी इंद्रियां हमें जाने कहां कहां ले जाकर पटकेंगी और हमको दुख-मुसीबत में डालेगी। अतः साधक के लिए यह परम आवश्यक है कि वह मन का दास ना बन कर उस पर नियंत्रण रखें। सच है कि उन्ही का  जीवन में सफल और सार्थक हैं, जो छोटी से छोटी बातों में भी आत्म निरीक्षण करते हैं। वे कभी अपने को मन के  गुलाम नहीं बनने देते। ऐसे मनुष्य को बड़े से बड़े प्रलोभन भी नहीं हिला सकता। वे स्वयं ही संसार को हिला सकते हैं क्योंकि उनका विवेक सत्य पर आधारित रहता है।
                              

- प्रेरणा यादव

हॉलीवुड की टॉप 10 हॉरर मूवी

क्या आप को हॉरर फिल्में देखना बहुत पसंद हैं? और अगर वो हॉरर फिल्म अगर किसी सच्ची कहानी से प्रेरित हो

बुद्ध का पर्यावरणीय दृष्टिकोण

मनुष्य और प्रकृति साथ कैसे रहे, यह मौजूदा दौर का सबसे अहम सवाल है। गौतम बुद्ध कहते है कि 'मनुष्य को चाहिए कि प्रकृति में पेड़-पौधे एवं तमाम जीव-जंतुओं के साथ

कोरोना संकट के समय में सतर्कता और सावधानी से करें निवेश

आज हर तरफ कोरोना वायरस की चर्चा है। देश में लॉकडाउन 50 दिन से आगे बढ़ चुका है। सभी तरह के कारोबार और आर्थिक गतिविधियों में एक तरह से बंदी है।

भारत की टॉप 5 पसंदीदा बाइक्स

क्या आपको पता है कि देश में कौन से ऐसे 5 बाइक्स हैं जो सबको सबसे ज्यदा पसंद है?

टॉप 10 हिंदुस्तानी वेब सीरीज

आप सब जानते हैं कि कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को रोक के रख दिया है। लॉकडाउन के कारण हम सब घरों में हैं।

स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत

कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को नियंत्रित करते के लिए हमारे देश में चल रहा लॉकडाउन को 17 मई को यानी अगले सप्ताह बहुत हद तक खत्म किया जा सकता है।

भारत के 13 सबसे बड़े राज्य

भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया में सातवां सबसे बड़ा देश है।

कोरोना से जुड़े अहम सवाल

आंकड़ों को दर्ज करने के मामले में भारतीय स्वास्थ्य प्रबंधन तंत्र कभी अच्छा नहीं रहा। बीमारियों के मामलों को दर्ज करने में पूर्वाग्रह की स्थिति रही है। यह स्थिति कोविड-19 महामारी में भी जारी है। उदाहरण के तौर पर तेलंगाना में छह डॉक्टर ने लिखा कि कैसे राज्य के कुल आंकड़ों में कोविड 19 से होनेवाली मौतों का जिक्र नहीं किया जा रहा है।

ईमानदारी की श्रेष्ठता

अजीब स्वभाव है मानव का! हमारी भले ही ईमान से जान पहचान ना हो, पर हम चाहते हैं कि हमारे संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति ईमानदार हों। व्यापार में, व्यवहार में , साहित्य में या संसार में सभी जगह ईमानदारी की मांग है।

कौन हैं बॉलीवुड के 10 सबसे अमीर एक्टर

बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक एक्टर-सुपरस्टार मौजूद हैं। जो अपनी सुपरहिट फिल्मों के जरिए लोगों का एंटरटेनमेंट करते हैं। वो एक फिल्म के जरिए करोड़ों की कमाई एक साल में कर लेते हैं,

विष्णु भक्त नारद मुनि

भगवान विष्णु के परम भक्त नारद ब्रह्मा जी के पुत्र हैं। उन्होंने भगवान विष्णु की भक्ति और तपस्या की। नारद जी पर देवी सरस्वती की भी कृपा थी। उन्हें हर तरह की विद्या में महारत हासिल थी।

अर्थव्यवस्था का पहिया कंप्यूटर नहीं, मेहनतकश मजदूर हैं

अभी, लगभग सभी लोग जान रहे हैं कि लॉकडाउन के कारण मजदूरों को समस्या हो रही है। हाल के दिनों में कुछ ऐसी खबरें आई हैं जो हमें विचलित कर देती हैं। आप सभी ने यह खबर निश्चित ही पढ़ी होगी कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास 16 मजदूरों की मालगाड़ी से कटकर मौत हो गयी।

दुनिया के 10 सबसे खूबसूरत शहर

अगर आप घूमने-फिरने के शौकीन हैं और खुद को एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत शहरों में आपको जरूर जाना चाहिए।

कोलकाता के प्रमुख पर्यटन स्थल


लगभग 50 लाख से भी ज्यादा आबादी वाला शहर कोलकाता, जनसंख्या के हिसाब से भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है।

लॉकडाउन में तनाव से बचने के उपाय

कोरोना वायरस को लेकर आए दिन आ रही खबरों से लोग ना सिर्फ परेशान हो रहे हैं, बल्कि तनाव में भी आ रहे हैं। इसे दूर करने के लिए इन टिप्स को अपनाएं और परिवार में खुशियां बांटने का प्रयास करें।

कोरोना वायरस को भगाने के लिए ऐसे बढ़ाएं अपनी शक्ति

कोरोना वायरस से बचने के लिए जितना जरूरी लॉकडाउन है, उससे ज्यादा जरूरी है इस दौरान खान-पान का ध्यान रखना। प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए डॉक्टर पौष्टिक आहार की सलाह दे रहे हैं। जिला अस्पताल के एसआईसी डॉक्टर एके सिंह ने बताया कि आयुष मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश को अगर लोग मान ले तो निश्चित तौर पर लोगों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत मजबूत होगी। उन्होंने अपील की है कि लोग लॉकडाउन का पालन जरूर करें ।

आयुष मंत्रालय की सलाह-
1. पूरे दिन गर्म पानी पीते रहे।
2. नियमित रूप से कम से कम 30 मिनट तक योगासन, प्राणायाम और ध्यान करें।
3. घर में मौजूद हल्दी, जीरा, धनिया और लहसुन आदि मसालों का इस्तेमाल भोजन बनाने में जरूर करें।
4. जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम है, वह चवनप्राश का सेवन करें।
5. तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सोंठ पाउडर और मुनक्के (नहीं है तो सूखी अदरक को पीसकर चूर्ण बना लें) से बनी काली चाय को दिन में एक से दो बार पिएं।
6. चाय में चीनी के बजाय गुड़ का उपयोग करें। इससे बेहतर बनाने के लिए नींबू के रस भी मिला सकते हैं।
7. सुबह और शाम दोनों नथुनों में तेल या नारियल का तेल या फिर घी लगाए।
8. अगर व्यक्ति सुखी खांसी से परेशान है तो दिन में एक बार पुदीने की ताजा पत्ती या अजवाइन के साथ भाप लें।
9. खांसी आ गले में खराश होने से दिन में दो-तीन बार प्राकृतिक शक्कर या शहद के साथ लौंग के पाउडर का सेवन करें।
10. गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पिएं।
11. घर पर रहकर पौष्टिक आहार लें।
12. घर पर रहकर योग करें जिससे कि शरीर की इम्युनिटी बढ़ सके।
13. फल में नींबू ,संतरा, मौसमी, पपीता, अंकुरित अनाज, मूंग, चना मेवे में किशमिश, मुनक्का, खजूर और नारियल पानी का सेवन जरूर करें।
14. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वस्थावर्धक खाना खाते रहें।


-प्रेरणा यादव
एमिटी यूनिवर्सिटी
कोलकाता

अच्छे स्वास्थ्य के लिए उचित आहार

मनुष्य का स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर होता है कि उसका आहार कैसा है। यदि आहार संतुलित हो तो बेहतर है, परंतु यदि शरीर में किसी तत्व की कमी है तो संतुलित आहार भी उसके लिए उचित आहार नहीं होगा। इसके लिए आपको शरीर की जरूरतों के मुताबिक आहार लेना चाहिए।

विदेशों में परामर्श के लिए डाइटिशियन होते हैं जो डॉक्टर के भांति स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करते हैं, परंतु भारत में इस समय केवल बड़े हॉस्पिटल में ही आहार विशेषज्ञ होते हैं। स्वतंत्र प्रैक्टिस करने वाले आहार विशेषज्ञ केवल महानगरों में ही है।

अगर आप डाइट के बारे किसी आम आदमी से पूछे तो उत्तर होगा कि पेट भर के खाओ और ठीक से पच जाए तो वही सही आहार है। अगर आप पूछे कि मोटापा कम करना है तो सीधा-साधा उत्तर मिलेगा कि कम खाओ और दबाकर काम करो। अपने आप वजन कम हो, छरहरा होना या बिना कमजोरी के वजन कम करना उतना आसान नहीं है, जितना आसान प्रतीत होता है, फिर भी यह कार्य कठिन भी नहीं है।
प्रत्येक मनुष्य की शारीरिक क्षमता, पाचन शक्ति और जीवनशैली का भी आहार से सीधा संबंध होता है। इसलिए आहार का चुनाव करते समय इस बात का सदैव ध्यान रखें।।
1. प्रोटीनयुक्त भोजन करें: प्राय: हमारे शरीर को थुलथुला बनाने में कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन का अधिक हाथ होता है अतः कार्बोहाइड्रेट की जगह अधिक मात्रा में प्रोटीन युक्त आहार को शामिल करें। गेहूं के बजाय साबुत गेहूं का उपयोग अधिक लाभप्रद है। यदि पूरा साबुत ना खा सके तो दलिया आदि के रूप में सेवन करें।
इस प्रकार उच्च प्रोटीन युक्त भोजन करने से शरीर में कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पहुंच पाते हैं। इससे शरीर में मौजूद वसा का उपयोग होने लगता है और मोटापा धीरे-धीरे कम होने लगता है परंतु अधिक प्रोटीन युक्त भोजन और उसकी मात्रा के बारे में चिकित्सक से जरूर सलाह लें, विशेषकर यदि आप गर्भवती या मधुमेह के रोगी है या शराब के आदी हैं। इस प्रकार के भोजन से आप प्रतिमाह 2 से 3 किलो वजन घटा सकते हैं। तुरंत प्राप्त होने वाली इस सफलता से आप मनोवैज्ञानिक असर होता है एवं शारीरिक व मानसिक रूप से पतले होने लगते हैं। अधिक प्रोटीन युक्त भोजन से प्यास अधिक लगती है वह पेशाब भी बार-बार होता है। अतः इससे सामान्य लक्षण समझे। कभी-कभी कब्ज की भी शिकायत हो सकती है।

2. शाकाहारी बने: शाकाहारी भोजन सर्वोत्तम भोजन है, परंतु शाकाहारी भोजन में अगर आप अधिक मात्रा में फल, मावा मलाई खाने लगे तो यह शाकाहारी होकर भी मांसाहारी भोजन से गरिष्ठ होता है। अतः शाकाहारी भोजन का अर्थ शुद्ध सात्विक भोजन होता है। दूध इत्यादि सीमित मात्रा में लें। बिल्कुल ही ना लेने से शरीर में विटामिन की कमी हो जाती है। शाकाहारी भोजन में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा सीमित होती है।

3. एक ही प्रकार का भोजन ना खाएं:  लगातार एक ही तरह का भोजन खाने से भूख होते हुए भी पेट भरा हुआ लगता है। इससे आपके शरीर का मोटापा कम होगा परंतु यह तरीका लंबी अवधि तक ना अपनाए क्योंकि यह संतुलित आहार होता है इससे शरीर में अन्य तत्वों की कमी हो सकती है।

4. थोड़ा खाए सीमित बार खाएं: आहार नियंत्रण का सबसे आसान तरीका है कि कम खाएं। खाते समय जब डकार आए तभी भोजन बंद कर दें। सुबह नाश्ता, दिन में भोजन व रात्रि का भोजन इन तीनों बार के अतिरिक्त अन्य समय में आहार का सेवन ना करें। हल्के स्नेक्स आदि बीच में ले सकते हैं।


-प्रेरणा यादव,
एमिटी यूनिवर्सिटी
कोलकाता

दुनिया की 10 सबसे ऊंची इमारतें

दुनिया की 10 सबसे ऊंची इमारतें कौन सी है आइए देखते है इस वीडिओ में-

देखिए वीडियो-

-Maswood Ahmed
Amity University
Kolkata

ना धर्म देखा ना उम्र देखा, ना अमीर देखा और ना ही गरीब!

कोरोना महामारी से एक बात तो साफ हो गई कि प्रकृति ही सबसे बड़ा धर्म है। इसने किसी भी धर्म को अनदेखा नहीं किया और सब पर बराबर की मार की है। चाहे वह किसी भी धर्म का हो, अमीर हो या गरीब, कोरोना ने किसी को नहीं छोड़ा।

आधुनिक दौर में भोजन और बीमारियां

कोरोना संकट काल में इस वायरस से बचाव का मुख्य आधार शरीर में मौजूद प्रतिरोधक क्षमता ही है। ऐसे में प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए खानपान पर ध्यान देना काफी जरूरी है खासकर बच्चों के आहार पर। आजकल फ्रेंच फ्राइज, पोटैटो चिप्स, समोसा, कूकिस, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स, केक व पिज्जा बच्चों का मनपसंद भोजन बना हुआ है. परन्तु इस प्रकार के खाद्य पदार्थों के बढ़ते प्रचलन ने बच्चों को पोषक तत्वों से दूर कर दिया है।

बच्चा जो भी भोजन करता है, उसका प्रभाव उसके विकास पर पड़ता है। जंक फूड के बढ़ते प्रचलन ने बच्चों को घर के भोजन से दूर रखा हुआ है। उन्हें दूध के बजाय कोल्ड ड्रिंक पसंद है, और दाल-रोटी, सब्जी के बजाय पिज्जा और बर्गर। टीनएज में भी इस प्रकार के भोजन को खाने के कारण मोटापाग्रस्त हो जाना अधिक देखने को मिल रहा है इसीलिए फिटनेस सेंटर्स की तादाद भी बढ़ती जा रही है।

मोटापा ना केवल शरीर को बदसूरत बना देता है, बल्कि कई गंभीर रोग के होने की भी संभावना को बढ़ा देता है। हृदय रोग, मधुमेह आदि कई रोगों का जड़ है मोटापा। मोटे बच्चे दूसरे बच्चों के मजाक का कारण भी बनते है, जिससे उनमें हीनभावना पनपती है और उनका मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। जंक फूड के प्रिजर्वेटिव बच्चों को कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं का शिकार बना देते हैं।

अधिक कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन भी बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जंक फूड में कैलोरी और फैट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है। विटामिन, मिनरल जैसे पोषक तत्व जो बच्चे के विकास के लिए आवश्यक है, उसकी कमी रहती है। एक मिडिल साइज बर्गर में अनुमानित 245 कैलोरी और 1 कोल्ड ड्रिंक में 159 कैलोरी की मात्रा होती है। हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है जो लोग जंक फूड का अधिक सेवन करते हैं, उनमें एचडीएल अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम पाया जाता है। इसके साथ ही रक्त में पाए जाने वाले एक रसायन होमोसिस्टीन का स्तर अधिक होता है जिसके कारण हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। मोटापाग्रस्त व्यक्तियों के लिए तो इसका सेवन नुकसानदेह है।

अगर प्रारंभ से ही बच्चें में अच्छी व स्वस्थ आदतें डाली जाए तो उन्हें कई बीमारियों से बचा सकते हैं। उन्हें प्रारंभ से ही पोषक तत्वों के लाभ से परिचित करवाएं। घर में जो भी भोजन बनाएं उसे आकर्षक बनाने की कोशिश करें ताकि बच्चें बाहर के बने भोजन के प्रति आकर्षित ना हों। जो भोज्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं उन्हें प्रारंभ से ही प्रयोग में लाएं।

-प्रेरणा यादव
एमिटी यूनिवर्सिटी
कोलकाता

तेरे संग ही जीना यहां...

वर्ष 2020 की शुरुआत पूरी दुनिया के लिए बहुत दर्दनाक रही है। पिछले वर्ष के अंतिम दिनों से ही कोरोना वायरस जनित, रोग कोविड -19 के मनहूस साये ने धीरे-धीरे पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया। लेकिन कोरोना महामारी ने एक बात तो साफ कर दी है कि इसने किसी भी धर्म को अनदेखा नहीं किया और सब पर बराबर की मार की है।

आखिर 1 मई को ही क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?

मजदूर दिवस हर साल उन लोगों की याद में मनाया जाता है जिन्होंने अपने परिश्रम से देश और दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। किसी भी देश, समाज या संस्था के विकास में मजदूरों की अहम भूमिका होती है। मजदूर दिवस कई वर्षों से 1 मई को हो मनाया जाता है। इस दिन देश की ज्यादातर कंपनियों में छुट्टी रहती है। केवल भारत ही नहीं दुनिया के करीब 80 देश में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।