“चाणक्य” जैसे लोकप्रिय टीवी धारावाहिक और “पिंजर” जैसी संवेदनशील फिल्म के निर्देशक डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि विभाजन की विभीषिका को बार-बार इसलिए याद करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा न हो। 1947 के बाद इसकी पहल हर साल होनी चाहिए थी। अभी भी बहुत सारे घाव भरे नहीं हैं। उन्होंने कहा, विभाजन की त्रासदी पर जिस तरह से फिल्में बननी चाहिए थीं, सीरियल बनने चाहिए थे, नाटक बनने चाहिए थे, नहीं बने। हम डरते रहे। इतिहास मानव सभ्यता