Skip to main content

स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत

कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को नियंत्रित करते के लिए हमारे देश में चल रहा लॉकडाउन को 17 मई को यानी अगले सप्ताह बहुत हद तक खत्म किया जा सकता है। अब तक भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण लोगों की कुल संख्या 70 हजार को पार कर चुकी है। शुरू में ही सावधानी बरतते हुए अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को बंद कर लॉकडाउन लागू कर दिया था। इस निर्णय की पूरी दुनिया में प्रशंसा हुई और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे संस्थानों ने भी सरकार की तारीफ की। अब आगे हम लॉकडाउन खोलने के उपायों और आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। महामारी पर काबू पाने के लिए कोरोना वायरस की वैक्सीन को विकसित करने के लिए दुनियाभर में अभूतपूर्व तरीके से कोशिश की जा रही है। लेकिन हमें सभी संभावित परिणामों के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए, अगर इस साल दिसंबर तक कोई कारगर दवाई नहीं आ जाती है, तो हमें क्या करना होगा? अगर हम कामयाब भी हो जाते हैं, दुनियाभर में सामान्य जनता तक इसे पहुंचाने में कितना वक्त लगेगा?

विभिन्न आकलन और तथ्यों से इंगित होता है कि भारत को अधिक डॉक्टर की आवश्यकता है, भारत में डॉक्टर की उपलब्धता और आबादी का अनुपात विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों से बहुत कम है। अगर आंकड़ों को देखें, तो भारत में एक डॉक्टर पर 1445 नागरिकों का अनुपात बैठता है , यानी कुल मिलाकर देश में लगभग 11.59 लाख डॉक्टर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि डॉक्टर और आबादी का आदर्श अनुपात एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर की उपलब्धता है। भारत की जनसंख्या को देखतेहुए इस अनुपात पर पहुंचने के लिए देश में लगभग 16.74 लाख डॉक्टर की आवश्यकता होगी।

सेटल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंश्योरेंस के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल, 2019 के अनुसार, अगर केवल सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर को शामिल किया जाये, तो भारत में 10,920 लोगों पर केवल एक एलोपैथी सरकारी डॉक्टर है। एक अन्य आकलन के अनुसार, हमारे देश में करीब छह लाख डॉक्टर और 20 लाख नसों की कमी है। सहयोगी मेडिकल स्टाफ की तो बहुत ज्यादा कमी है, अगर अन्य पश्चिमी देशों से तुलना करें, तो भारत कोविड-19 महामारी से उल्लेखनीय तरीके से निपट रहा है। हालांकि, संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत में अधिक मेडिकल स्टाफ और स्वास्थ्य सुविधाओं को अत्यधिक जरूरत है।

मेडिकल संस्थानों और स्वास्थ्य सुविधाओं पर कभी समुचित ध्यान ही नहीं दिया गया। अगर सरकार कोविड-19 महामारी की लड़ाई में कामयाब होना चाहती है, तो देश भर में तेजी से मेडिकल संस्थानों को बनाने और डॉक्टर की संख्या बढ़ाने पर जोर देना होगा। अगर भारत सरकार स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कमियों का देश की आबादी के सापेक्ष अनुसार हासिल करना  चाहती है और अस्पतालों का प्रभावी ढांचा खड़ा करना चाहती है, तो इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना होगा। इसके साथ प्रत्येक वर्ष स्वास्थ्य मंत्रालय को आवंटित बजट में भी बढ़ोतरी होनी चाहिये, जब इस तरह  की परिस्थितियां हमारे दरवाजे पर दस्तक देगी, तो हम उससे लडाई के लिए पूर्ण रूप से तैयार होगे।

-भावना भारती

Comments

Post a Comment

Most Popular

सद्भावना ट्रस्ट लखनऊ में महिला दिवस समारोह एवं लीडरशिप बिल्डिंग सर्टिफिकेशन कार्यक्रम

सद्भावना ट्रस्ट, 2009 से लखनऊ शहर की बस्तियों में ज़रूरतमंद समुदाय के साथ काम रही हैं। संस्था विशेषकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सामाजिक मुद्दे पर नज़रिया निर्माण करके उन्हें नेतृत्व में लाने का काम करती हैं। साथ ही युवा महिलाओं को तकनीकि कौशल का हुनर देते हुये उनको सशक्तीकरण एवं आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

झारखंड का आदिवासी समाज और भूमि का उत्तराधिकार!

यूं तो झारखंड के आदिवासी समाज में औरतों की स्थिति, अन्य समाज की स्त्रियो की तुलना में पुरुष से संपत्ति के अधिकार की हो, तो ये उन सारी महिलाओं से पिछडी है जो अन्य क्षेत्रों में इनका अनुकरण करती है। आपको यह जानकर विस्मय होगा कि राज्य के जनजातीय समाज में महिलाओं को अचल संपत्ति में कोई वंशानुक्रम का अधिकार नहीं दिया जाता है। वर्तमान युग में, जब लैंगिक समानता का विषय विश्व भर में जोरों से चर्चा में है, यह अति अफसोसनाक है कि प्रदेश की आदिवासी महिलाओं को प्रथागत कानून के तहत भूमि के उत्तराधिकार से वंचित रखा गया है। छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 कि धारा 7 एवं 8 में इस बात का उल्लेख है कि आदिवासी समाज में जमीन का उत्तराधिकार सिर्फ पुरुष वंश में ही किया जा सकता है। अर्थात, समाज की औरतों को इसका कतई अधिकार नहीं। हालांकि अधिनियम कि एक अन्य धारा पर गौर किया जाय तो यह मालूम होता  है कि यादि आदिवासी समाज में भूमि का हस्तांतरण, भेंट अथवा विनिमय किया जाना हो तो इसके लिए वंशानुगत पुरूष अथवा ‘अन्य ‘ योग्य है। जहां एक तरफ संथालपरगना के इलाके में ‘तानसेन जोम’ की परंपरा हैं, वही दूसरी तरफ संथालपरगना का

 अटल काव्यांजलि में जुटेंगे देश के दिग्गज कवि

पिछले कई वर्षों की भांति भारतीय राजनीति के पुरोधा युगपुरुष हम सभी के प्रेरणा स्रोत, भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रधेय अटल बिहारी वाजपेई जी की जन्मजयंती की पूर्व संध्या पर दिनांक 24 दिसंबर 2022 को सायंकाल काल 5:00 बजे से 8.00 बजे तक दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित एनडीएमसी कन्वेंशन हॉल में एक भव्य "अटल काव्यांजलि" का आयोजन नीरज स्मृति न्यास द्वारा किया जा रहा है।

दिल्ली में हुआ फिल्म ‘थैंक गॉड’ का प्रमोशन

अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​और अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह अपनी आने वाली फिल्म ‘थैंक गॉड’ का प्रमोशन करने दिल्ली पहुंचे। यह कार्यक्रम नई दिल्ली के पीवीआर प्लाजा में आयोजित किया गया था। फिल्म 25 अक्टूबर 2022 को रिलीज होगी।

 प्रधानमंत्री मोदी ने नागपुर रेलवे स्टेशन से वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 दिसंबर को नागपुर रेलवे स्टेशन से नागपुर और बिलासपुर को जोड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री ने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बों का निरीक्षण किया और ऑनबोर्ड सुविधाओं का जायजा लिया। उन्होंने नागपुर और अजनी रेलवे स्टेशनों की विकास योजनाओं का भी जायजा लिया।