महापुराणों में देव ऋषि नारद के नाम से एक पुराण है, जिसे बृहन्ननारदीय पुराण कहा जाता है। धर्म ग्रंथों में बताई गई बड़ी घटनाओं में देव ऋषि नारद का बहुत महत्व है। नारद मुनि के श्राप के कारण ही भगवान विष्णु को श्री राम का अवतार लेना पड़ा। नारद जी के कहने पर ही राजा हिमाचल की पुत्री पार्वती तपस्या की और शिव जी को प्राप्त किया।
नारद मुनि ने दिया भगवान विष्णु को श्राप:
एक बार नारद जी को कामदेव पर विजय प्राप्त करने का गर्व हुआ। उनके गर्व का खंडन करने के लिए भगवान विष्णु ने अपनी माया से सुंदर नगर बसाया। जहां राजकुमारी का स्वयंवर हो रहा था। नारद वहां गए और राजकुमारी पर मोहित हो गए। नारद जी, भगवान विष्णु के सुंदर रूप को लेकर उस राजकुमारी के स्वयंवर में पहुंचे। लेकिन पहुंचते ही उनका मुंह बंदर जैसा हो गया। इस पर राजकुमारी बहुत गुस्सा हुई। उसी समय भगवान विष्णु राजा के रूप में आए और राजकुमारी को लेकर चले गए। नारद जी को जब पूरी बात पता चली उन्होंने गुस्से में आकर भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि जिस तरह आज में स्त्री के लिए व्याकुल हो रहा हूं, उसी प्रकार मनुष्य जन्म लेकर आपको भी स्त्री के वियोग में रहना पड़ेगा। माया का प्रभाव को हटने पर नारद जी को बहुत दुख हुआ। जब भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि यह सब माया का प्रभाव था, इसमें आपका कोई दोस्त नहीं है। नारद जी के प्रभाव से ही भगवान विष्णु का श्री राम अवतार हुआ।
नारद मुनि ने ही बताया था कैसा होगा पार्वती का पति:
सती के आत्मदाह के बाद देवी शक्ति ने पर्वतराज हिमालय के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया। जब नारद जी वहां गए तो राजा हिमाचल से बोले कि तुम्हारी कन्या में बहुत सारे गुण हैं। स्वभाव से ही सुंदर, सुशील और शांत है। लेकिन इसका पति माता-पिता विहीन, उदासीन, योगी, जटाधारी और गले में सांप धारण करने वाला होगा। यह सुनकर पार्वती के माता-पिता चिंतित चिंतित हुए और उन्हें देव ऋषि का इसका उपाय पूछा। तब नारद जी बोले, जो दोष मैंने बताया मेरे अनुमान से वह सभी भगवान शिव में हैं। शिव जी के साथ अगर पार्वती का विवाह हो जाए तो यह दोष गुण के समान हो जाएंगे। अगर तुम्हारी कन्या तप करे तो शिव जी को प्राप्त कर सकती हैं। इसके बाद पार्वती ने अपनी मां से कहा कि मुझे एक ब्राह्मण ने सपने में कहा कि जो नारद जी ने कहा है तू उसे सत्य समझ कर जाकर तप कर। यह तब तेरे लिए दुखों का नाश करने वाला है। उसके बाद माता-पिता को बड़ी खुशी से समझाकर पार्वती तप करने गई।
-प्रेरणा यादव
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ReplyDeleteUpasana: 👍👍👍
ReplyDelete👍👍👍
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteDeepanwita Dey : well written 👍
ReplyDeleteReally nice
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