Skip to main content

मनुष्य को दुख क्यों होता है?

मनुष्य को दुख क्यों? मनुष्य को यदि संसार की वस्तुओं के होने से आसक्ति और मोह होता है, तो इसके न होने से उसे व्यथा और दुख होता है। मनुष्य के दिल में यदि किसी वस्तु के लिए आसक्ति नहीं है तो वस्तु के अभाव  में उसे दुख भी नहीं होता। जिस प्रेम, मोह और आसक्ति के कारण हम दुखी होते हैं, उसी प्रेम, मोह और आसक्ति के कारण हम दुखी होते हैं, उसी प्रेम, मोह और आसक्ति को यदि हम सारे संसार की ओर व्यक्त करें, तो हमारा दुख हवा हो जाएगा। इसमें त्याग की भावना है। हमारे ऋषि-मुनियों ने भी बार-बार त्याग का उपदेश दिया है।
                      
एक बार आयुष्मान ने जब भगवान बुद्ध से प्रश्न किया था कि संसार दुखी क्यों है, तब भगवान बुद्ध ने एक बुढ़िया का उदाहरण देते हुए समझाया, ”एक बार एक बुढ़िया ने मेरे पास आकर कहा, ‘हे भगवान, मेरा एकलौता बेटा मर गया है, उसे जीवन दान दो, मैंने कहा, हां, मैं तुम्हारा दुख अवश्य दूर कर सकता हूँ, यदि तुम इसके उपाय के लिए जो चीजें मुझे चाहिए, वह ला दो।’ थोड़ी सरसों चाहिए, वह मुझे ला दो। मै उस मंत्रोच्चार से पवित्र कर दूंगा और फिर तुम्हारा बेटा सजीव हो जायेगा। बुढ़िया ने सोचा, इसमें कौन-सी बड़ी बात है। वह उठ कर चलने लगी। मैंने उसे रोक कर कहा- सुनो, मुझे तो उस घर की सरसों चाहिए, जिस घर ने कभी मातम न मनाया हो, जहां कभी दुख और मृत्यु ने प्रवेश न किया हो। ‘बेचारी गौतम सारे नगर में घर-घर घूमी। किसी ने कहा कि मेरा पुत्र पिछले साल ही मर गया है। किसी ने कहा, ‘बहन, चाहे जितनी सरसों ल लो,’ कितु मेरे पति हाल में स्वर्गवासी हुए हैं।

गुरुजी ने मानव-मात्र को जो अतिमहत्वपूर्ण सीख दी-वह है स्वयं को प्रभु के चरणों में बिना किसी शर्त के पूर्णरूपेण समर्पित करना, जो कुछ भी प्रभु कर रहा है, उसे उसका आदेश मान कर दुख-सुख से परे तटस्थ भावना के साथ स्वीकार करना। जहां मनुष्य को दुख-सुख प्रभावित कर नहीं करते, सदैव अडोल रहता है। अगर-मगर की भावना के साथ प्रभु को नहीं पाया जा सकता। प्रभु प्राप्ति के मार्ग में सबसे बड़ी कठिनाई हमारी सांसारिक चतुराई है- निश्छलता त्याग कर हम जोड़-तोड़ करते हैं और प्रभु से दूर हो जाते हैं। निश्चय ही प्रभु प्राप्ति का मार्ग इससे अवरुद्ध होता है।

इस प्रकार बुढ़िया को एक भी घर ऐसा नहीं मिला, जिसमें कभी भी मातम न मनाया गया हो। वह वैसी ही व्यथित दशा में मेरे पास आयी। मैंने उसे धीरज देते हुए कहा, ‘माँ, इस दुनिया में एक भी घर ऐसा नहीं है, जहां मृत्यु ने अपना हाथ न रखा हो। दुख और मृत्यु तो प्राणी मात्र के लिए है ही। संसार में ऐसा कोई भी युग नहीं रहा, जबकि व्यक्ति को दुख न हुआ हो।

-भावना भारती


Comments

Post a Comment

Most Popular

घर में रखने योग्य मूर्तियां

हिंदू धर्म के अनुसार घर में सभी देवी-देवताओं के लिए एक अलग स्थान बनाया जाता है। हिंदू धर्म में देवताओं के लिए जो स्थान बता रखे हैं, लोगों ने वैसे ही अपने घरों में देवताओं को स्थापित किया है। आप सभी के घर में देवी-देवताओं का मंदिर जरूर होगा। सबसे पहले आपको बता दें कि घर के मंदिर को हमेशा ही साफ रखना चाहिए। मंदिर में किसी भी तरह की खंडित मूर्ति ना रखें। हम आपको ऐसे देवी-देवताओं के बारे में बताएंगे जिनकी पूजा घर पर नहीं होनी चाहिए। 1. भैरव देव:   भैरव देव भगवान शिव के एक अवतार हैं। भैरव देव की मूर्ति कभी भी अपने घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए। अब आप बोलेंगे कि ऐसा क्यों है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भैरव तंत्र विद्या के देवता माने जाते हैं। भैरव देव की पूजा करनी चाहिए, परंतु घर के अंदर ऐसा नहीं करना चाहिए। 2. नटराज: कुछ लोग ऐसे होंगे जो नटराज जी की मूर्ति को घर में रखते होंगे। नटराज की मूर्ति देखने में तो बहुत सुंदर लगती है।यह मूर्ति भगवान शिव के रौद्र रूप की है। नटराज की मूर्ति को आप भूल कर भी घर के अंदर ना रखें, क्योंकि नटराज भगवान शिव के रौद्र रूप में है यानी भगवान शिव के क्रोधित रूप में ह

छात्रों में अनुशासनहीनता

छात्रावस्था अवोधावस्था होती है, इसमें न बुद्धि परिष्कृत होती है और न विचार। पहले वह माता-पिता तथा गुरुजनों के दबाव से ही कर्त्तव्य पालन करना सीखता है। माता-पिता एवं गुरूजनों के निमंत्रण में रहकर नियमबद्ध रूप से जीवनयापन करना ही अनुशासन कहा जा सकता है। अनुशासन विद्यार्थी जीवन का सार है। अनुशासनहीन विद्यार्थी न तो देश का सभ्य नागरिक बन सकता है और न अपने व्यक्तिगत जीवन में हो सफल हो सकता है।

भाषा सर्वेक्षण पर कालजयी किताब है भारत का भाषा सर्वेक्षण एवं भोजपुरी

भाषा सर्वेक्षण और भोजपुरी के संदर्भ में पृथ्वीराज सिंह द्वारा रचित पुस्तक 'भारत का भाषा सर्वेक्षण एवं भोजपुरी' एक कालजयी किताब है, जो गहन शोध पर आधारित एक श्रमसाध्य कार्य है । इस किताब का व्यापक महत्व है। उक्त बातें इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष सह वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने 'भारत का भाषा सर्वेक्षण एवं भोजपुरी' किताब के अनावरण सह परिचर्चा कार्यक्रम में कहीं। अनावरण सह परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र के उमंग सभागार में संपन्न हुआ।

विद्यालय का वार्षिकोत्सव

उत्सव मनुष्य के जीवन में आनंद और हर्ष का संचार करते हैं। विद्यालय का वार्षिकोत्सव विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यही वह अवसर है जब विद्यार्थी अपनी-अपनी प्रतिभाओं को दिखा सकते हैं। विद्यालय का यह उत्सव प्रायः दिसंबर मास के आस-पास मनाया जाता है। इसकी तैयारी एक महीने पूर्व ही प्रारंभ हो जाती है। इस उत्सव में विद्यालय के सभी छात्र-छात्राएँ तथा अध्यापक अध्यापिकाएँ अपना-अपना योगदान देते हैं।

फिल्म ‘आ भी जा ओ पिया’ की स्टारकास्ट ने दिल्ली में किया प्रमोशन

हाल ही में अभिनेता देव शर्मा और अभिनेत्री स्मृति कश्यप अपनी आनेवाली फिल्म ‘आ भी जा ओ पिया’ के प्रमोशन के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे। कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली के पीवीआर प्लाजा में किया गया। यह फिल्म 7 अक्टूबर, 2022 को रिलीज होगी।