'आप की अदालत' में भावुक हुए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

टीवी शो "आप की अदालत" में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों के नरसंहार की घटना को याद करते हुए बेहद भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल की उस घटना के बाद उनकी नींद उड़ गई थी और यह भारत की आत्मा पर हमला था। तब तक उन्हें चैन नहीं मिला, जब तक तीनों आतंकियों को मार गिराया नहीं गया। शो के होस्ट रजत शर्मा ने जब पूछा कि बैसरन घाटी में, जहां पर्यटक पिकनिक मना रहे थे और टूरिस्ट एक्टिविटी कर रहे

थे, वहां कोई पुलिस क्यों नहीं थी, तो सिन्हा ने बताया कि वहां एक निजी व्यक्ति ने बिना प्रशासन और पुलिस को बताए ज़िपलाइनिंग और दूसरी गतिविधियां शुरू कर दी थीं। जम्मू-कश्मीर पर्यटन विकास निगम ने उसे अनुमति भी नहीं दी थी, और चूंकि पिछले चार साल से घाटी में शांति थी, छोटे-छोटे नए टूरिस्ट स्पॉट बन गए थे, जिनकी जानकारी हर जगह नहीं थी।

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के इस आरोप पर कि टूरिस्ट की सुरक्षा न करने की वजह से देश युद्ध के करीब पहुंच गया, सिन्हा ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि लंबे समय तक पाकिस्तान घाटी में ‘स्ट्राइक कैलेंडर’ भेजता था, जिसके कारण स्कूल, कॉलेज और बाजार साल में 132 दिन बंद रहते थे, पत्थरबाजी आम थी और हमारे सुरक्षाकर्मी शहीद होते थे। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई और शिवसेना नेता संजय राउत द्वारा दिए गए इस बयान पर कि यह साबित नहीं हुआ कि हत्यारों ने हिंदू पर्यटकों की पहचान की थी, सिन्हा ने कहा कि वे खुद पोस्टमॉर्टम रूम में पीड़ितों के परिवार के साथ मौजूद थे और परिवार वाले जोर-जोर से कह रहे थे कि आतंकियों ने पहले यह चेक किया था कि पर्यटक हिंदू हैं या नहीं।

जब अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि तीनों आतंकियों को ठीक उसी दिन क्यों मारा गया जब गृह मंत्री संसद में बहस पर जवाब दे रहे थे, तो सिन्हा का जवाब था कि ऑपरेशन 22 अप्रैल को ही शुरू हो चुका था और आदेश था कि किसी भी हालत में आतंकियों को कश्मीर से भागने नहीं देना है। उन्होंने कहा, “जिनकी नीयत साफ होती है, भगवान भी उनकी मदद करता है, और इन्हें उसी दिन मरना था।” सीजफायर को लेकर पूछा गया कि क्या यह जल्दबाजी में हुआ, तो सिन्हा ने कहा कि समय, तरीका और कार्रवाई रोकने का फैसला सेना का था, और मकसद साफ था — हत्यारों, उनके आका और उनके ट्रेनिंग कैंप को खत्म करना। पाकिस्तान ने जवाबी कोशिश की तो हमारी सेना और वायुसेना ने उनके 11 एयरबेस तबाह कर दिए और साफ कर दिया कि पाकिस्तान के सभी रणनीतिक ठिकाने हमारी पहुंच में हैं।

कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘महादेव’ जैसे नामों पर सवाल उठाने पर, सिन्हा ने समझाया कि ‘महादेव’ नाम इसलिए पड़ा क्योंकि दाचीगाम के जंगल का वह इलाका ‘महादेव रिज’ के नाम से जाना जाता है और वहीं आतंकियों का सफाया हुआ। ‘सिंदूर’ इसलिए रखा गया क्योंकि हत्यारों ने महिलाओं का सुहाग उजाड़ा था। उन्होंने यह भी बताया कि कश्मीर में अब सिर्फ मंदिर ही नहीं, बल्कि गुरुद्वारे, चर्च और मस्जिदों का भी पुनर्निर्माण सरकार के संरक्षण प्लान के तहत किया जा रहा है।

बातचीत के दौरान मनोज सिन्हा ने एक निजी किस्सा भी साझा किया कि कैसे दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव ने एक बार संसद की लॉबी में उनका हाथ पकड़कर कहा था कि समाजवादी पार्टी में शामिल हो जाओ और सांसद बने रहो, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि यूपी में माफिया गिरोह खत्म हुए हैं, डर और आतंक का माहौल खत्म हुआ है और कानून का राज कायम हुआ है। जब उनसे पूछा गया कि 2017 में जब योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया, तो क्या उनका नाम भी चर्चा में था, तो उन्होंने कहा कि यह उन्होंने सिर्फ टीवी पर सुना, पार्टी के किसी नेता ने उन्हें सीधे तौर पर नहीं बताया। वाराणसी के संकटमोचन मंदिर में जाने को उन्होंने बस एक संयोग बताया, न कि मुख्यमंत्री पद की उम्मीद से जुड़ी कोई प्रार्थना। बातचीत के अंत में उन्होंने कहा कि योगी जी के मुख्यमंत्री बनने पर उन्हें स्वाभाविक रूप से अच्छा लगा।

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