प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 सितंबर को 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास पर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों से संवाद किया। यह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक आत्मीय बातचीत थी जिसमें प्रधानमंत्री ने शिक्षकों की भूमिका, देश की दिशा और नई पीढ़ी के निर्माण पर गहराई से बातें कीं।
कार्यक्रम की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे केवल भाषण देने नहीं आए, बल्कि शिक्षकों के अनुभवों से सीखने और उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करने के उद्देश्य से उपस्थित हैं।
शिक्षक: समाज की सबसे बड़ी शक्ति
प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे यहां शिक्षक का स्वाभाविक सम्मान होता है। एक शिक्षक सिर्फ वर्तमान नहीं होता, वह देश की भावी पीढ़ी को गढ़ता है।"
उन्होंने यह भी बताया कि पुरस्कार पाना अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। अब समाज की नजरें आप पर हैं, इसलिए यह अवसर है अपनी पहुंच और प्रभाव को और व्यापक बनाने का।
गुरु-शिष्य परंपरा: राष्ट्र की ताकत
प्रधानमंत्री ने भारत की गुरु-शिष्य परंपरा को देश की बड़ी ताकत बताया और कहा, "मां जन्म देती है, लेकिन गुरु जीवन देता है।"
आज जब भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है, तो इस परंपरा का महत्व और बढ़ जाता है। शिक्षक न सिर्फ ज्ञान दे रहे हैं, बल्कि राष्ट्र के लिए जीने की प्रेरणा भी दे रहे हैं।
शिक्षा में सुधार और शिक्षक की भूमिका
उन्होंने NEP 2020 की भावना के अनुरूप पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धतियों में बदलाव की ज़रूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षक समयानुकूल रिफॉर्म्स के वाहक हैं।
"रिफॉर्म्स निरंतर होने चाहिए, दीर्घ दृष्टि के साथ। शिक्षक कालबाह्य चीजों से मुक्ति चाहते हैं।"
GST 2.0: डबल धमाका – बचत भी, सुविधा भी
प्रधानमंत्री ने हाल ही में लागू हुए GST रिफॉर्म्स की विस्तार से चर्चा की और कहा कि यह “GST 2.0” नहीं बल्कि डबल डोज है —
आम आदमी की बचत
अब GST की दो मुख्य दरें (5% और 18%) ही होंगी, जिससे दर्जनों उत्पाद सस्ते होंगे — पनीर से लेकर स्कूटर तक। उन्होंने कहा कि अब धनतेरस पर और ज्यादा रौनक होगी क्योंकि घर के बजट पर दबाव कम हो जाएगा।
2014 से पहले और अब की तुलना
प्रधानमंत्री ने 2014 से पहले की सरकारों को घेरते हुए कहा: "कांग्रेस सरकार में बच्चों की टॉफी पर भी 21% टैक्स लगता था।"
उन्होंने बताया कि आज वही चीजें बहुत कम टैक्स पर मिल रही हैं —
-साबुन, टूथपेस्ट: पहले 27%, अब 5%
-सीमेंट: पहले 29%, अब 18%
-साइकिल, सिलाई मशीन, कृषि उपकरण: पहले 14-17%, अब 0-5%
किसानों, महिलाओं, युवाओं को लाभ
GST रिफॉर्म से किसानों, महिलाओं, छोटे व्यापारियों, MSME सेक्टर, टेक्सटाइल, हैंडीक्राफ्ट, जिम-सैलून सेवाओं और यहां तक कि नए जॉब जॉइन करने वाले युवाओं को सीधा फायदा होगा।
शिक्षकों से आह्वान: आत्मनिर्भर भारत की भावना जगाएं
प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से अपील की कि वे बच्चों के बीच ‘आत्मनिर्भर भारत’ का बीज बोएं। "बच्चों को यह सिखाएं कि देश दूसरों पर निर्भर रहकर आगे नहीं बढ़ सकता।"
उन्होंने बच्चों को जागरूक करने के लिए घरेलू वस्तुओं की सूची बनाने का सुझाव दिया- “बालकों को कहिए, देखें कि उनके घर में कितनी विदेशी चीजें हैं। फिर सोचें कि उनमें से कितनी को स्वदेशी से बदला जा सकता है।”
ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग पर सख्ती
प्रधानमंत्री ने हाल ही में पारित हुए ऑनलाइन गेमिंग कानून का जिक्र करते हुए शिक्षकों से कहा कि वे बच्चों को गेमिंग और गैंबलिंग में फर्क समझाएं।
"गेमिंग बुरा नहीं है, गैंबलिंग बुरा है।"
उन्होंने बताया कि इस कानून के पीछे बच्चों को डिजिटल नशे से बचाने का उद्देश्य है।
इनोवेशन, Aatmanirbhar Bharat और ‘Vocal for Local’
उन्होंने शिक्षकों से कहा कि स्कूलों में “स्वदेशी डे”, “लोकल प्रोडक्ट डे” जैसे उत्सव मनाएं। "हर दुकानदार गर्व से लिखे – यह स्वदेशी है। बच्चों के बर्थडे गिफ्ट भी मेड इन इंडिया हों।"
उन्होंने बताया कि अब तक देश में 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स बन चुकी हैं और 50,000 नई लैब्स बनाने का लक्ष्य है।
देशभक्ति + आर्थिक शक्ति = विकसित भारत 2047
प्रधानमंत्री ने कहा, "हर युवा को यह भावना होनी चाहिए — मैं ऐसा क्या करूं जिससे देश को लाभ हो?"
उन्होंने यह भी बताया कि अगर भारत खाने के तेल का आयात बंद कर दे तो 1 लाख करोड़ रुपये बच सकते हैं।
शिक्षकों का राष्ट्र निर्माण में योगदान सर्वोपरि
प्रधानमंत्री ने शिक्षकों को कहा कि वे बच्चों को केवल पढ़ाएं नहीं, बल्कि उन्हें देश के साथ जोड़ें। "आप जैसे शिक्षक अगर राष्ट्र निर्माण के इस मिशन से जुड़ेंगे, तो निश्चित ही हम विकसित भारत का सपना पूरा कर सकते हैं।"
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "जो काम आप हमेशा करते हैं — होमवर्क देने का — आज वही मैंने किया है। मुझे भरोसा है, आप उसे पूरा करेंगे।"
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