![]() |
Photo: Pinterest |
पहला:- मनुष्य इकाई के स्तर पर तथा दूसरा सामुदायिक स्तर पर। उनका दृढ मत था कि यदि अकेला व्यक्ति सुधर जाए और अपने आसपास के पेड़-पौधों, जीव-जंतु के प्रति सहायता का व्यवहार करने लगे और संवेदनशील हो जाए, तो समुदाय और समाज में पर्यावरण सुधार अपने-आप आ जायेगा। उन्होंने इसके लिए पंचशील का सिध्दांत समाज को दिया- किसी जीव की हिंसा में रत मत हो, बिना दी हुई वस्तु मत लो, कामवासना में रत मत हो, झूठ, कठोर और मिथ्या वचन से बचो, शराब और अन्य नशीले पदार्थों और प्रमादक स्थानों से दूर रहो। स्वस्थ मानवीय समाज की स्थापना के लिए यह उपदेश सूत्र स्वरुप है।
तथागत बुद्ध ने कहा कि संसार में पशु-पक्षियों, पेड़-पौधे, कीडे-मकडी में जातियां होती है, जिन्हें दूर से देखकर पहचाना जा सकता है, लेकिन मनुष्य को देखकर उसकी जाति नहीं जानी जा सकती। इसलिए संसार में मनुष्य की एक ही मनुष्य जाति है। इसमें कोई पृथक्कता नहीं है।
दूसरी स्थापना यह है कि कोई भी व्यक्ति जन्म के आधार पर न तो नीचा होता है और न ऊंचा। अपनी कमी से मनुष्य ऊंचा और नीचा हो सकता है।
पेड़-पौधों के मध्य, उजानी, वनों और नदियों के किनारे, नगरों, खामोश से हटकर भिक्षु आवास-विहार बनाने का नियम बुद्ध ने बनाया था। आज हजारों विहारों, महाविहारो, स्तूपों के ध्वंसावशेषों, वनों-उजानी में, नदियों के किनारे ही मिलते हैं। विहारों के निर्माण में ध्यान रखा जाता था कि किसी भी ओर से हवा चले, तो पूरे भवन में हवा और प्रकाश पहुंचता रहे, विहार के मध्य में अंजना, एक कोने पर कुआ, गंदा पानी निकालने के लिए नालियाँ होना आवश्यक है।
बाहर से आनेवाला लोगों के लिए नियम था कि वे हाथ-पांव धोकर ही विहार में प्रवेश करेंगे, जिसके लिए अलग पानी का प्रबंध रहता था। विहार के लिए एक ओर पुष्करिणी का भी होना आवश्यक था। विनयपिटक से ज्ञात होता है कि पर्यावरण की शुद्धता के लिए ही यह नियम बनाया गया था कि हरियाली पर कोई पेशा या शौच न करें, पानी में पेशाब-शौच न करें और खड़े-खड़े भी पेशाब-शौच करने की मनाही थी। गौतम बुद्ध ने पानी के समुचित उपयोग पर बल दिया है। उनके गृह त्याग का एक कारण रोहिणी नदी के पानी के बंटवारे के लिए शाक्य और उनके पडोसी राज्य कोरियोग्राफर के बीच युद्ध की नौबत उत्पन्न हो जाना था। उन्होंने अपनी शिक्षाओं द्वारा वृक्षारोपण के महत्व को समझाया और अपने अनुयायियों को प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीवन जीने की प्रेरणा दी ।
-भावना भारती
एमिटी युनिवर्सिटी
कोलकाता
Well written
ReplyDeleteBeautiful ❤️
ReplyDeleteUpasana: 👍👍👍
ReplyDelete👍
ReplyDelete👍👍👍👍
ReplyDeleteDeepanwita Dey : great
ReplyDelete