गांधी जी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करना वक्त की जरूरतः डॉ पार्थ शाह

थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के प्रेसिडेंट और इंडियन स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के संस्थापक व डायरेक्टर डॉ पार्थ शाह ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के उस सपने को साकार करने को वक्त की जरूरत बताया है जिसके केंद्र में गांव और लोग शामिल हों। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का मूल उद्देश्य लोकनीति निर्माण में लोक को शामिल करना है, लेकिन हमारे सिस्टम का दृष्टिकोण लोक को सहभागी मानने की बजाय उनके लिये बाध्यकारी नीतियां बनाने तक ही सिमट कर रह गया है।



डॉ पार्थ शाह इंडियन स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी (आईएसपीपी) द्वारा लोकनीति विशेषज्ञों और छात्रों के साथ ‘लोग को लोकनीति में लायें’ विषयक संवाद कार्यक्रम के दौरान अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थें। विषय प्रवर्तन आईएसपीपी की एसोसिएट डीन डा. नीति शिखा ने किया।


डॉ पार्थ शाह ने लोकनीतियों के निर्धारण के कार्य को अंग्रेजी भाषी एलीट वर्ग तक ही सीमित रखने को गलत बताते हुए इसके लोकतांत्रिकीकरण पर जोर दिया। लोकनीति कार्यक्रम में ‘लोग’ को वापस लाने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि लोकनीतियों के निर्धारण में हिन्दी भाषी स्थानीय विशेषज्ञों की सहभागिता आवश्यक है।


इस मौके पर उन्होंने लोकनीति विषय के पाठ्यक्रम को हिन्दी में शुरू किये जाने की भी घोषणा की। लोकनीति पाठ्यक्रम को हिन्दी में पढ़ाने का देश का यह पहला कार्यक्रम होगा जो नीति, डेटा और आचार परिवर्तन की शिक्षा प्रदान कर स्थानीय जरूरतों को समझने और साक्ष्य आधारित नीति में संलग्न होने की सीख देगा। डॉ शाह ने विभिन्न देशों की चुनावी प्रणालियों पर भी विश्लेषण प्रस्तुत किया।  





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