Skip to main content

हिजाब, धर्म, संस्कृति और अनुशासन- अरविंद राज

धर्म, संस्कृति, भावनाएं, पसंद ये सब अपनी जगह हैं लेकिन सबसे ऊपर सामाजिक व शैक्षणिक अनुशासन है. स्कूल-कॉलेज में न तो हिजाब को जायज ठहराया जा सकता और न ही भगवा गमछे को. न ही जय श्रीराम का उद्घोष और न ही अल्लाह हु अकबर नारा. सभी धर्मों के लोगों को समझना होगा कि शिक्षण संस्थानों का एक ड्रेस कोड होता है. वहां निश्चित अनुशासन होता है. उसको फोलो करना सभी के लिए जरूरी है. अब हालात ऐसे बनते जा रहे एक के बाद अनावश्यक बातों को विवाद बनाया जा रहा है. जिससे समाज में नफरत बढ़ती ही जा रही है और उसका राजनीतिक दल पूरा फायदा उठाते हैं.


अनुशासन एक ऐसा गुण है जिसके अभाव में न तो व्यक्ति अपना समग्र विकास कर सकता और न ही कोई समूह, समाज या देश आगे बढ़ सकता. ये जरूरी नहीं है कि अनुशासन बड़ी बड़ी चीजों पर लागू होता है. अनुशासन तो नीचे से ऊपर तक जाता है. व्यक्ति, परिवार, समाज, सरकार सभी जगह अनुशासन का होना अति आवश्यक है और खासकर जितनी कम उम्र से खुले विचारों का स्वागत हो जीवन में, उतनी ही संभावना है जीवन में शिखर तक पहुंचने की.

उदाहरण के लिए पुलिस या सेना में अपने अपने धर्म के मुताबिक ड्रेस पहनने की मांग करने लगें लोग. तो क्या होगा. ये सिर्फ भारत की बात नहीं है. किसी भी देश की सेना हो. सभी देशों की सेनाओं में एक ड्रेस कोड के अलावा कुछ और अनुशासनात्मक कोड होते हैं जिनका पालन करना सभी के लिए आवश्यक होता है और उसका सभी धर्म के लोगों द्वारा सभी देश की सेनाओं में अक्षरसः पालन किया जाता है.

किसी निश्चित धर्म या समाज में पैदा होने से व्यक्ति वैसे ही अपने कपड़े, खाना, शादी करने या पूजा-पद्धतियों को फॉलो करता है, लेकिन जब घर-परिवार से बाहर जाने की शुरुआत होती है तो उसे सभी धर्मों का सम्मान करते हुए अपने कपड़ों, खाना, शादी या पूजा पद्धति को सर्वसाधारण की भावना अनुरूप करना होता है. जब ऐसा नहीं होता तो समस्याओं की शुरुआत होती है.

सच्चे धर्म व संस्कृति का मतलब होता है प्रवाह युक्त रहना यानि एक फ्लो में रहना. साइंस की तरह ही जिन धर्मों, संस्कृति, सभ्यताओं में फ्लो रहा, वो निरंतर आगे बढ़ती रहीं और उन्होंने एक बेहतर समाज व सभ्यता का निर्माण किया. धर्म संस्कृति का मतलब होता है नित्य-विकासशील, सदा बहने वाला. एक प्रकार से जल के समान. पानी सबसे खूबसूरत है और जब यह  बहता है तो उपयोगी होता है. यह बहता हुआ जल नदियों, झरनों, लहरों का निर्माण करता है और अंत में जल से महासागर बनता है. लेकिन जब पानी रुक जाता है, स्थिर हो जाता है तो वह जहरीला हो जाता है. दुर्गंध आने लगती है और जीवन के लिए अनुपयोगी हो जाता है. जैसा कि हठधर्मिता या कट्टरपंथियों के नियमों के मामले में है. कट्टरपंथी सोच, अंध-धार्मिकता की परतें भी जहरीली हो सकती हैं. कहने का मतलब है कि अपने धर्म और संस्कृति की सराहना करें, लेकिन इसे पानी की तरह बहने दें और विकसित होने दें. सुगंधित हवा की तरह महकने दें. जिससे आने वाली पीढ़ियाँ उस फ्लो में चल सकें.


-अरविंद राज

वरिष्ठ पत्रकार और टीकाकार

Comments

Most Popular

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली में आयोजित करेगा पूर्वोत्तर राष्ट्रीय नाट्य समारोह

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) ने आज 26 मार्च को दिल्ली में पूर्वोत्तर रष्ट्रीय नाट्य समारोह 2024 आयोजित करने की घोषणा की। यह आयोजन 27 मार्च यानी विश्व रंगमंच दिवस से लेकर 30 मार्च, 2024 तक किया जाएगा। राजधानी के तीन हिस्सों में इस चार दिवसीय पूर्वोत्तर राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव- 2024 का आयोजन किया जा रहा है।

Guest Post

Important Points For Guest Post- 1. The article should be minimum of 1000 words and should be unique, your original work. Previously posted articles on the internet are not accepted. 2. The content you write should be 100% unique, plagiarism* free and SEO friendly. Duplicate content will be rejected. 3. Always try to keep your paragraphs short, max 3-5 sentences; Short paragraphs are easier to understand and digest for the readers. 4. Please choose catchy headline. 5. The article should be in Microsoft word format or Text- Docs file and can be easily editable. 6. Along with your post, please send at least 5-6 good quality high resolution photos relevant to the post. 7. One featured image is necessary Also, remember once the content is published on our website it should not be published anywhere else. 8. Images must be at least 700 px size and should be relevant. No copyrighted image. 9. No racist, sexist, adult, casino or anti-religious posts allowed. 10. Content intent and grammar sho

प्रधानमंत्री मोदी ने किया एम्स नागपुर राष्ट्र को समर्पित

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 11 दिसंबर को एम्स नागपुर राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने नागपुर एम्स परियोजना मॉडल का निरीक्षण भी किया और इस अवसर पर प्रदर्शित माइलस्टोन प्रदर्शनी गैलरी का अवलोकन किया।

 प्रधानमंत्री मोदी ने नागपुर रेलवे स्टेशन से वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 दिसंबर को नागपुर रेलवे स्टेशन से नागपुर और बिलासपुर को जोड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री ने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बों का निरीक्षण किया और ऑनबोर्ड सुविधाओं का जायजा लिया। उन्होंने नागपुर और अजनी रेलवे स्टेशनों की विकास योजनाओं का भी जायजा लिया।

विज्ञान से लाभ-हानि

आधुनिक युग को 'विज्ञान का युग' कहा जाता है। आधुनिक जीवन में विज्ञान ने हर क्षेत्र में अद्भुत क्रांति उत्पन्न कर रखी है। इसने हमारे जीवन को सहज व सरल बना दिया है। विज्ञान ने मानव की सुख-सुविधा के अनेक साधन जुटाएँ हैं। टेलीफ़ोन, टेलीविजन, सिनेमा, वायुयान, टेलीप्रिंटर आदि विज्ञान के ही आविष्कार हैं। विद्युत के