रेलवे प्लेटफॉर्म का दृश्य

आज एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए अत्यंत तीव्रगामी साधन उपलब्ध हैं, परंतु रेलगाड़ी का अपना ही महत्व है। इतनी अधिक संख्या में भिन्न-भिन्न स्थानों पर रुककर यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाला यातायात का ऐसा कोई अन्य साधन नहीं है, जिसकी तुलना रेलगाड़ी से की जा सके।


रेलवे स्टेशन का दृश्य अपने-आप में अनूठा होता है। कुछ बड़े स्टेशनों को, जहाँ दो रेलमार्ग मिलते हैं, जंक्शन कहा जाता है। दिल्ली के रेलवे स्टेशन का तो फिर कहना ही क्या है! देश की राजधानी होने के कारण दिल्ली रेल द्वारा संपूर्ण भारत से जुड़ी है। यहाँ से अनेक नगरों के लिए गाड़ियाँ चलती हैं।

रेलवे प्लेटफॉर्म का दृश्य निराला होता है। अनेक यात्री अपने सामान के साथ या तो गाड़ी पकड़ने जा रहे होते हैं या फिर कहीं से आ रहे होते हैं। कुछ अपना सामान खुद ला रहे होते हैं, तो कुछ भारवाहकों की मदद ले रहे होते हैं। स्टेशन के अंदर जाते ही प्लेटफॉर्म का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। प्लेटफॉर्म पर अनेक यात्रियों का ताँता सा लगा होता है। इनमें से कुछ बेंचों पर बैठे होते हैं, कुछ प्लेटफॉर्म पर ही कपड़ा बिछाकर विश्राम कर रहे होते हैं।


प्लेटफॉर्म पर हॉकरों का शोर सुनाई देता है। कोई पूरी सब्जी, तो कोई चाय- समोसे कोई अखबार या पत्रिका बेच रहा है, तो कोई फल आदि कोई पान खिला रहा है, तो कोई शीतल पेय पिला रहा होता है। इस प्रकार संपूर्ण प्लेटफॉर्म ऐसा लग रहा होता है मानो एक छोटा-सा नगर हो । कुछ लोग किसी को गाड़ी तक छोड़ने आए हैं, तो कुछ अपने किसी सगे-संबंधी यात्रियों को लेने। किसी की ट्रेन छूटने वाली है, तो वह तेजी से प्लेटफॉर्म की तरफ़ भागा जा रहा है, और यदि किसी की ट्रेन लेट है, तो वह अखबार या पत्रिका पढ़कर समय काट रहा है।

प्लेटफॉर्म पर पुलिसवालों की गश्त है. रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों का आना-जाना लगा हुआ है, भार-वाहकों की भाग-दौड़ मची हुई है तथा इंजनों की सीटियाँ तथा छुक-छुक की आवाजें एक अजीब-सा समाँ बाँध रही हैं।

भारतीय संस्कृति की विशेषता है-'अनेकता में एकता'। रेलवे प्लेटफॉर्म पर भारतीय संस्कृति का साक्षात् रूप दृष्टिगोचर होता है, क्योंकि प्लेटफॉर्म पर विभिन्न प्रांतों से आने-जाने वाले, विभिन्न भाषाएँ बोलने वाले तथा विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग होते हैं।

रेलवे प्लेटफॉर्म पर भारतीय परंपरा तथा संस्कृति के दर्शन होते हैं, जिसमें ऊँच-नीच, जात-पाँत, प्रांतीयता, भाषावाद या सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं है। रेलवे प्लेटफॉर्म को अगर राष्ट्रीय एकता का प्रतीक कहें तो अत्युक्ति न होगी।

-प्रेरणा यादव

No comments:

Post a Comment