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गुमशुदा नाटककार स्वदेश दीपक की स्मृति में एल्सवेयर फ़ॉउंडेशन का शुभारंभ

संगीत नाटक अवार्ड विजेता नाटककार स्वदेश दीपक (जिन्होंने कोर्ट मार्शल लिखा) , 7 जून 2006 से लापता हैं जब वो घर से टहलने के लिए निकले और कभी लौट कर नहीं आये। उनकी याद में आज कला प्रबंधन विशेषज्ञ नगीना बैंस और लेखक के  बेटे, सुकान्त दीपक ने एल्सवेयर फ़ॉउंडेशन की स्थापना करने की घोषणा की।


चंडीगढ़ स्थित एल्सवेयर फ़ॉउंडेशन किसी एक शहर तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसका उद्देश्य देश भर में प्रदर्शनों, फिल्म स्क्रीनिंग, कला प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं, व्याख्यानों, और पुस्तक वाचन संगोष्ठियों को संचालित करना और देश भर में विभिन्न कलाओं के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान करना है।फाउंडेशन की पहली प्रस्तुति, महमूद फ़ारूक़ी की 'दास्ताँ-ए-कर्ण अज़ महाभारत' 16 नवंबर को चंडीगढ़ के रॉक गार्डन में होगी। इसमें योद्धा कर्ण की उस कहानी को फिर से सुनाने का प्रयास किया जायेगा जो उर्दू, फारसी, हिंदी और संस्कृत के उन स्रोतों पर आधारित है जिनमे कर्ण के जन्म से लेकर उनकी मृत्यु तक उनके जीवन की पड़ताल की गयी है।


मीडिया से बात करते हुए सुकान्त दीपक ने कहा -"कला के विभिन्न रूपों के बीच सहयोग और समकालीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर कला के माध्यम से बात रखने में मुझे हमेशा दिलचस्पी रही है। हालाँकि ये फाउंडेशन मेरे पिता की स्मृति में स्थापित किया गया है मगर इसका उद्देश्य उनके कामों का प्रचार करना नहीं है- वो ये बात कभी पसंद नहीं करते। सच कहूँ तो नगीना के प्रोत्साहन और प्रबंधन के क्षेत्र में उनकी महारत के बल पर ही ये विचार एक ठोस रूप ले पाया है। मुझे उम्मीद है की कलाकार और दर्शक हमारे प्रयास की सराहना करेंगे।"

इस अवसर पर सह-संस्थापक नगीना बैंस ने कहा ,"आत्म-खोज की मेरी यात्रा में एल्सवेयर फ़ॉउंडेशन मेरे मूल्यों के सबसे क़रीब है। हम एक क्षेत्र के कलाकारों के काम को दूसरे क्षेत्र के कलाकारों के सामने प्रस्तुत करना चाहते हैं। और फाउंडेशन का उद्देश्य इन सब से कहीं ज़्यादा बड़ा है। कला शिक्षा, कलाकारों के साथ बातचीत, और कला परियोजनाओं  के द्वारा सामाजिक विषयों पर काम करना हमारा प्रमुख एजेंडा है।"

फाउंडेशन की सलाहकार समिति में पद्म भूषण पुरस्कार विजेता मल्लिका साराभाई (शास्त्रीय नर्तक और अभिनेत्री), पद्म श्री पुरस्कार विजेता नीलम मानसिंह चौधरी (रंगमंच निर्देशक), साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक और कवि जेरी पिंटो, पूजा सूद (निर्देशक, खोज), रवि सिंह (प्रकाशक, स्पीकिंग टाइगर), दीवान मन्ना (फोटोग्राफर), निरुपमा दत्त (कवि और आलोचक) और चंदर त्रिखा (निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी और हरियाणा उर्दू अकादमी) शामिल हैं।


फाउंडेशन के बारे में बात करते हुए लेखक और कोच्ची बीएनेल फाउंडेशन के ट्रस्टी एन एस मादवन ने कहा -" मुझे एल्सवेयर फ़ॉउंडेशन से बड़ी उम्मीदें हैं -ये एक ऐसा मंच है जो विभिन्न कलाओं और उनके संगम का स्वागत करता है। दुनिया भर में अलग-अलग प्रकार की कलाएं एक साथ जुड़ रही हैं और एकल कलाओं का जड़ स्वरुप अब बाक़ी नहीं रहा। हमें अब इस बाइनरी से बाहर आना होगा। यह बेहद ज़रूरी है एक क्षेत्र के दर्शकों को अन्य क्षेत्रों के विभिन्न कला रूपों से अवगत कराया जाए। कला का आदान-प्रदान एक बेहतरीन विचार है।"

नीलम मानसिंह चौधरी ने कहा -"महमूद फ़ारूक़ी एक बेहतरीन दास्ताँगो हैं। ये एक बड़ी उपलब्धि है  कि एल्सवेयर फ़ॉउंडेशन ने उन्हें 16 नवंबर को चंडीगढ़ में दास्तानगोई के लिए आमंत्रित किया है।  दर्शक एक लाजवाब कलाकार को देखेंगे, अनुभव करेंगे और उम्मीद है की कला पर दिलचस्प बातें की जाएँगी।"

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता कवी अरुंधति सुब्रमण्यम ने एल्सवेयर फ़ॉउंडेशन के बारे में कहा -"एक ऐसे समय में जब हम सब ये समझने का प्रयास कर रहे हैं की कैसे अपनी जड़ों से जुड़े रह कर वैश्विक नजरिया अपनाया जाये, कैसे बिना अलग-थलग हुए स्थानीयता अपनायी जाये, कैसे बिना खुद को अलग किये अपनी अलग पहचान क़ायम रखी जाये, एल्सवेयर फ़ॉउंडेशन सही दिशा में एक बेहतरीन क़दम है। मुझे ये जानकार बेहद ख़ुशी हुई की ये पहल एक बेहतरीन लेखक की याद में की गई है।"

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