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 समस्याओं के समाधान के बजाय राजनीति कर रही है केजरीवाल सरकार- करतार सिंह भड़ाना

राजधानी दिल्ली में पिछले कई वर्षों से बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली और आसपास में रहने वाले लोगों का दम घुटने लगा है। हर साल ये समस्या बढ़ती ही जा रही है। अब हालात ऐसे बन गए हैं की आम और खास, सभी लोग प्रदूषण से परेशान हो चुके हैं। इस मुद्दे पर वीरवार को प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन में हरियाणा के पूर्व सहकारिता मंत्री करतार सिंह भड़ाना ने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार इन गंभीर समस्याओं के समाधान के बजाय पूरी तरह से राजनीति कर

रही है। वह बार-बार पड़ोस के राज्यों में पराली के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण की बात कह कर अपनी कमियों को छुपा जाती है। जबकि सच्चाई तो यह है कि लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण का एक सबसे बड़ा कारण राजधानी दिल्ली में सडक़ों पर लगने वाला जाम और टूटी सड़कें  हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री की खराब नीतियों की वजह से दिल्ली में वाहन सरक-सरक कर चलने को मजबूर हैं। दिल्ली में ऐसी व्यवस्था बननी चाहिए जिससे जाम समाप्त हो। जाम खत्म हो जाएगा तो वायु प्रदूषण अपने आप कम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि फरीदाबाद में क्रेशर जोन को बंद करना, हर बार कंस्ट्रक्शन के कामों पर रोक लगाना व प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों पर आरोप लगाना ठीक नही है। दिल्ली में प्रदूषण अधिक होता है, जबकि फरीदाबाद में कम। फिर भी फरीदाबाद के क्रेशर और भवन निर्माण पर रोक लग जाती है। जिसके कारण लाखों लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाता है। जो मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं, उनके बारे में भी सभी को सोचना चाहिए। आस-पास के इलाके में भवन निर्माण सामग्री को गिला ला कर इस्तेमाल करें तो प्रदूषण होगा ही नही।
 
श्री भड़ाना ने कहा कि सरकार राजस्थान से ट्रेन से रोड़ी और डस्ट मंगा कर तुगलकाबाद रेलवे-स्टेशन,ओखला और सरिता विहार में  में स्टोक लगा रखा है। उस से भी काफी प्रदूषण होता है। जब की हरियाणा की गाड़ियों को दिल्ली में घुसने पर प्रदूषण के नाम पर भारी जुर्माना लगा देते हैं। उन्होंने कहा कि जब से अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं, हर साल प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है। उन्हें इसका कोई स्थाई हल ढूंढना चाहिए। केजरीवाल हर साल प्रदूषण के नाम पर हरियाणा और दिल्ली के लोगों का रोजगार छीन लेते हैं। सरकार का यह फैसला कतई सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि इस सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। केजरीवाल सिर्फ और सिर्फ सत्ता की राजनीति करते हैं। समस्याओं के समाधान पर यह सरकार कतई गंभीर नहीं है। क्योंकि अगर किसी भी नेताओं की नीति और नियत साफ हो तो आज के जमाने में बड़ी-से-बड़ी समस्याओं का निदान हो सकता है। परंतु केजरीवाल की सरकार चाहती ही नहीं है कि दिल्ली की जनता को समस्याओं से निजात मिले। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की ढुल-मुल नीति की वजह से  राजधानी दिल्ली की सडक़ें लगातार शंकीर्ण होती जा रही हैं। तो वहीं दूसरी ओर बड़े-बड़े गड्ढों के कारण घंटो जाम की समस्या लगातार बढ़ रही है। हालात ऐसे होते जा रहे हैं कि मिनटों का सफर घंटों में भी  पूरा नहीं हो रहा है। जाम तो रोजमर्रा की परेशानी बन गई है।

दिल्ली के प्रदूषण का यदि केजरीवाल वास्तव में समाधान करना चाहते हैं तो सडक़ पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए यदि कोई भी व्यक्ति अपनी कार को सड़क पर खडी करता है तो उस पर कम से कम पांच हजार का जुर्माना लगना चाहिए।

श्री भड़ाना ने कहा कि पराली जलाने के नाम पर किसानो को परेशान किया जा रहा है। पराली के धुएं में, गाड़ियों और इंडस्ट्रीयल प्रदूषण में बहुत अंतर होता है। दिल्ली में जो भी प्रदूषण है वो यहीं का है। इसे तभी दूर किया जा सकता जब दिल्ली की सड़को को ठीक करने के साथ-साथ ट्रैफिक सिस्टम को भी ठीक किया जाए। ट्रैफिक रूके नहीं और स्पीड से चले। आज जहां भी जाम लगता है, उस जाम की वजह से घंटो गाडियां खडी रहती हैं। जिससे हजारों लिटर पैट्रोल और डीजल बेवजह जल जाता है। जिससे प्रदूषण तो होता ही है, साथ ही देश का काफी पैसा का भी नुकसान होता है । जिससे हम पैट्रोल खरीदते हैं। यदि अपने सिस्टम को ठीक कर लें तो प्रदूषण भी नही होगा और देश का पैसा भी बचेगा। जहां कहीं भी लोग पैदल सड़क पार करते हैं, वहां पर स्वचालित सीढ़ी का पुल बनना चाहिए। ताकि लोग भी सुरक्षित रहें और ट्रैफिक भी न रूके। यदि यातायात रूक-रूक के चलता है तब भी  प्रदूषण अधिक होता है।

सरकार दिल्ली आने वाले वाहनो से ग्रीन टैक्स तो ले रही है, पर उस पैसे से प्रदूषण रोकने के लिए कुछ नही कर रही है। एमसीडी के टोल टैक्स पर भी लम्बा जाम लगता है। वहां वाहनो को रूकना न पड़े, इसकी भी दिल्ली सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए। केन्द्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की देख रेख में एक कमेटी बननी चाहिए। जो पता लगाए की दिल्ली में प्रदूषण की असल वजह क्या है। कमेटी में ऐसे लोग शामिल किए जाएं, जो सच को सच बताएं और प्रदूषण की असल वजह बताए।

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