जलवायु परिवर्तन के विषय को जी-20 के विमर्श का मुद्दा बनाना सराहनीय फैसला

फ्रेडरिक न्यूमन फाउंडेशन (एफएनएफ) साउथ एशिया प्रमुख डॉ कर्स्टन क्लेन ने भारत द्वारा वैश्विक जलवायु परिवर्तन के विषय को जी-20 जैसे महत्वपूर्ण मंच पर चर्चा का मुद्दा बनाने के फैसले को सराहनीय कदम बताया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के भयावह दुष्परिणाम बाढ़, सूखे, तापमान में वृद्धि और लू के रूप में देखने को मिल रहे हैं।

तापमान में वृद्धि से ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिससे तटवर्ती देशों में समुद्रतल में वृद्धि का खतरा उत्पन्न होने लगा है। डॉ क्लेन के मुताबिक आर्थिक सहयोग के उद्देश्य से गठित अंतर्राष्ट्रीय जी-20 मंच पर जलवायु परिवर्तन के विषय पर चर्चा करना भारत के इस मुद्दे पर गंभीरता को प्रदर्शित करता है।


डॉ कस्टर्न क्लेन होटल इम्पीरियल में ‘इंडियाज क्लाइमेंट चेंज एजेंडा इन जी-20: प्रिपेयर्डनेस, चैलेंजेज़ एंड कोलैबोरेशन’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में आरंभिक भाषण दे रहे थे। यूनेस्को के नेचुरल साइंस यूनिट के प्रोग्राम स्पेशलिस्ट डॉ बेन्नो बोयर ने बतौर मुख्य वक्ता ने 1970 के दशक में यूरोपियन देशों में उत्पन्न हुए ऊर्जा संकट और तापमान वृद्धि का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि उस दौरान देश की युवा जनता द्वारा सरकारों पर बनाए गए दबाव के परिणामस्वरूप कड़े राजनैतिक कदम उठाए गए और आज वहां 1970 के दशक की तुलना में पर्यावरण बेहतर स्थिति में है।

सम्मेलन में मनोहर पर्रिकर इंस्टिट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के सीनियर फेलो डॉ उत्तम कुमार सिन्हा, भूटान इकोलॉजिकल सोसायटी की क्लाइमेट सॉल्युशन स्ट्रेटेजिस्ट नामगे चॉडेन, बाउंडलेस एन्वार्मेंट रिसॉर्सेज़ सॉल्युशन की कंसलटेंसी प्रमुख विकास गोस्वामी, फॉरेस्ट पोस्ट की संस्थापक डॉ मंजू वासुदेवन आदि ने अपने विचार रखे।


सम्मेलन का समापन भाषण देते हुए फाउंडेशन फॉर एमएसएमई क्लस्टर्स के एग्जिक्युटिव डाइरेक्टर मुकेश गुलाटी ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान ढूंढने के साथ साथ स्थानीय स्तर पर लोगों को उन परिस्थितियों से जूझने में सक्षम बनाने के लिए कदम उठाने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन एफएनएफ की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर नूपुर हसिजा ने किया।


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