सड़कों पर सन्नाटा, दफ्तरों, कारखानों और सावर्जनिक स्थानों पर पड़े ताले से भले ही मानव जीवन में ठहराव आ गया है, लेकिन लॉकडाउन के बीच प्रकृति एक नयी ताजगी महसूस कर रही है। हवा, पानी और वातावरण साफ हो रहे हैं। हम इंसानों के लिए कुछ समय पहले तक ये एक सपने जैसा था। इन दिनों प्रकृति की एक अलग ही खूबसूरती देखने को मिल रही हैं जो वर्षों पहले दिखाई देती थी।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दुनियाभर में एहतियात के तौर पर लॉकडाउन लागू किया गया है। सभी सार्वजनिक स्थल, दुकान, दफ्तर और स्कूल-कॉलेज बंद हैं। इससे प्रकृति काफी शुद्ध हुई है, जो अतिशय मानवीय हस्तक्षेप के कारण प्राणघातक बन चुकी थी।
जहरीली हवा में सांस लेने और भू-जल के विषाक्त हो जाने की वजह से हर साल हजारों लोग असामयिक मौत का शिकार हो जाते हैं। हाल के वर्षों में वायु प्रदूषण बहुत बड़ा संकट बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विषाक्त हवा की वजह से हर साल दुनिया भर में करीब 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
हर साल भारत में प्रदूषण से 20 लाख से अधिक लोगों को मौत का शिकार होना पड़ता है, जो कि दुनिया में सबसे अधिक है। अभी लॉकडाउन के करण हवा में पीएम 2.5 काफी कम हुआ है, साथ ही फैक्ट्री में काम रुकने के वजह से नाइट्रोजन डाईआक्साइड में भी कमी आयी है।
मानव गतिविधियों में ठहराव आने से दुनिया के कई शहरों की हवा पिछले साल की तुलना में पीएम लेवल में काफी कमी आयी है। वैज्ञानिकों का भी मानना हैं कि वायुमंडल के तापमान को बढ़ाने वाले प्रदूषण में कमी लाकर आसमान को साफ रखा जा सकता है और प्रदूषण से होनेवाली मौत को रोका जा सकता है।
वायु गुणवत्ता आंकड़ों के विश्लेषण से साफ है कि लॉकडाउन के पहले हफ्ते में पिछले पांच वर्ष के मुकाबले सबसे कम वायु प्रदूषण दर्ज किया गया। हालांकि वायु गुणवत्ता जांचने की कवायद मात्र बड़े शहरों तक ही सीमित है। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली, मुंबई ही नहीं बल्कि दुनिया के कई शहरों की भी हवा साफ हुई है।
दुनिया के 10 प्रमुख शहरों में किए गए अध्ययन के अनुसार नयी दिल्ली, सिओल, मुंबई, वुहान की हवा में काफी सुधार देखा गया है। चीन के वुहान में हफ्ते के लॉकडाउन में पीएम 2.5 का स्तर जो फरवरी 2019 में 63.2 था, वह उसी अवधि में इस साल घटकर 36.8 दर्ज किया गया है। इसके अलावा लॉस एंजिल्स, लंदन की हवा में प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है। लॉकडाउन में लगभग 78 प्रतिशत शहरों की हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के करण नई दिल्ली में यमुना नदी का पानी भी साफ हुआ है। यमुना में जैविक ऑक्सीजन डिमांड स्तर में 33 प्रतिशत का सुधार हुआ है। यमुना में फेंके जानेवाले विषैले कचरो में कमी आयी है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सुधार कुछ समय के लिए ही है, लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियों के शुरू होने के बाद प्रदूषण फिर से उसी स्तर पर पहुंच जायेंगे।
पिछले कुछ वर्षों से गंगा नदी को लेकर अभियान चलाये जा रहे हैं, लेकिन अनेक प्रयासों के बाद भी गंगा का पानी पीने लायक नहीं हुआ था, लेकिन लॉकडाउन के बीच शहरों में प्रदूषण ना होने से गंगा नदी का पानी पीने योग्य हो गया है।
इन दिनों गंगा के जल में उल्लेखनीय सुधार नजर आ रहा है। कई दशकों के बाद गंगा जल पीने लायक हुआ है, कई जगह इस नदी जल की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया और इसे पीने लायक पाया गया। इन दिनों कानपुर में भी गंगा साफ हुई हैं, क्योंकि आजकल विषैले औद्योगिक अपशिष्टों का गंगा में गिरना बंद है। इतना ही नहीं कई जगह पर गंगा का पानी स्नान करने योग्य भी हो गया है।
Good
ReplyDeleteकुदरत का करिश्मा
ReplyDeleteUpasana Sarbajna: 👍👍👍
ReplyDeleteNature at it's best
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
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