जर्नलिस्ट वेलफेयर फंड के सदस्य एवं प्रेस एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष संतोष ठाकुर ने अपने मधुबनी बिहार दौरे के दौरान बातचीत में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि हमने सरकार से कहा है कि गांव देहात में काम करने वाले पत्रकारों को भी बीमा दिया जाना चाहिए . जब भी मैं अपने गृह जिला मधुबनी आता हूं और यहां बेनीपट्टी, जयनगर, कलुआही या ऐसी अन्य जगहों पर पत्रकारों को कार्य करते हुए देखता हूं तो यह पाता हूं कि वह काफी समस्याओं में घिर कर काम करते हैं. उनके पास कोई सामाजिक सुरक्षा भी नहीं होती है. यही हाल देश के सभी शहरों, कस्बों और गांवों में काम करने वाले पत्रकारों की भी है. यही हाल दिल्ली मुंबई या अन्य महानगरों में काम करने वाले पत्रकारों की भी है. ऐसे में सरकार 2000 से ₹3000 सालाना प्रीमियम वाली कोई ऐसी इंश्योरेंस योजना लाए जिसमें सभी पत्रकारों को कम से कम 50 लाख रुपए तक की बीमा राशि का प्रावधान हो. इसके लिए केंद्र सरकार के स्तर पर इंश्योरेंस कंपनियों को पत्रकारों को केंद्रित कर बीमा योजना लाने का निर्देश दिया जाए.
उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों को इस योजना से लाभ ही होगा. देश भर के लाखों पत्रकार, चाहे वह मान्यता प्राप्त हो या गैर मान्यता प्राप्त हो, कंपनियों की बीमा योजना लेंगे. जिससे उनके साथ एकमुश्त ही काफी राशि आ जाएगी. कई राज्य सरकार पत्रकारों को बीमा योजना देती है. लेकिन उसमें कई तरह के नियम/ उप- नियम बना दिए जाते हैं. जिससे उनका वास्तविक लाभ कुछ ही लोगों को मिल पाता है. ऐसे में केंद्र सरकार एक राशि स्वयं बीमा कंपनियों को दें तथा राज्य सरकारों को भी प्रेरित करें कि वह भी अलग-अलग बीमा योजना चलाने की जगह इन कंपनियों को ही अपनी ओर से एकमुश्त राशि दे दें. जिससे कि पत्रकारों को अधिकतम बीमा राशि का लाभ हासिल हो पाए.
संतोष ठाकुर, जो मैथिल पत्रकार ग्रुप के अध्यक्ष भी हैं, ने बताया कि हमने सरकार से अनुरोध किया है कि वह इसके लिए पीआईबी की वेबसाइट पर या फिर सूचना प्रसारण मंत्रालय के तहत ऐसा कोई वेब पेज बनाएं जिस पर इच्छुक पत्रकार अपना नाम दर्ज करा पाए. इससे सरकार की सभी को सामाजिक सुरक्षा देने की नीति और उद्देश्य को भी गति हासिल होगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है तो ऐसा करना मुमकिन भी है. प्रधानमंत्री के निर्देश पर किसानों, असंगठित क्षेत्र के कामगारों के साथ ही अन्य वर्ग के लिए भी कई तरह की योजनाएं चल रही हैं. ऐसे में पत्रकारों के लिए भी केंद्र सरकार निश्चित तौर पर इस तरह की बीमा योजना शुरू कर सकती है. ऐसा उन्हें विश्वास है. उन्होंने केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर एवं केंद्रीय सूचना प्रसारण सचिव अमित खरे की ओर से जर्नलिस्ट वेलफेयर फंड से प्रभावित पत्रकारों के परिजनों को ₹500000 तक की सहायता राशि जारी करने में दिखाई गई तत्परता को लेकर भी उनका धन्यवाद किया.
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