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ज्योतिष विज्ञान और कोरोना- ज्योतिषाचार्य राजकिशोर

वर्त्तमान समय में कोरोना महामारी एक ऐसा संकट है , एक ऐसी समस्या है जिससे न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि पूरा विश्व जूझ रहा है। बार बार लोगों के दिमाग में सिर्फ और सिर्फ एक ही सवाल आ रहा है और उस सवाल ने सभी की रातों की नींद उड़ा कर रख दी है कि कोरोना महामारी का अंत कब होगा ? इस महामारी के संकट से कैसे और कब छुटकारा मिल पायेगा ?

बतौर ज्योतिषाचार्य हमें भी इन सवालों का सामना करना पड़ रहा है। बार बार लोग यही सवाल दोहरा रहे हैं कि गुरूजी इस समस्या का समाधान या अंत कब होगा ? इसके जवाब को जानने और समझने के लिए हम कोशिश करेंगे और हमारी कोशिश पूर्णतया ज्योतिष विज्ञानं के नियमो सिद्धांतो और आंकड़ों के आधार पर केंद्रित है।

किसी भी वस्तु या समस्या या कार्य का अंत समझने के लिए यह जानना और तय करना अति आवश्यक है कि उसकी शुरुआत कब कहाँ और कैसे हुई ? इसलिए हम भी इस कोरोना महामारी की शुरुआत के बारे में जानने और समझने कि कोशिश करेंगे । ज्योतिष विज्ञान की गणना और सिद्धांत के हिसाब से किसी भी वस्तु विशेष या समस्या की शुरुआत कुछ ग्रहों के विशेष गोचर की वजह से होती है।  हर ग्रह की अपनी कुछ विशेषताएं होती हैं जिनके लिए वह खास तौर पर जाने जाते है।  और इसी तरह हर ग्रह की दूसरे ग्रहों के साथ, गोचर में भ्रमण करते वक़्त, होने वाली युति की अपनी कुछ अलग विशेषता होती है। इन्ही विशेषताओं की वजह से ही , गोचर में भ्रमण करते वक़्त, ग्रह अकेले तथा दूसरे ग्रहों के साथ युति करते हुए, बहुत सी घटनाओ को अंजाम देते हैं।

ज्योतिषशाश्त्र के हिसाब से राहु और केतु छायाग्रह की श्रेणी में आते हैं जिनका खुद का कोई अस्तित्व नहीं होता , कोई रूप नहीं होता अतार्थ जो दिखाई नहीं देते।  अतः जितनी भी बीमारियाँ या समस्याएं ऐसी वजह से या ऐसे कारणों से आती है जो एकाएक समझ में ना आ सके तोह उन सब के पीछे इन दोनों ग्रहों में से किसी भी ग्रह का हाथ हो यह माना जा सकता है। कोरोना भी ऐसी ही एक बीमारी है जिसके शुरू होने की सही वजह आज भी शायद पूरी तरह से पकड़ में नहीं आ पायी है और धीरे धीरे इस बीमारी ने महामारी का रूप धारण करते हुए पुरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है।

ज्योतिषशास्त्र के हिसाब से राहु को शनि ग्रह का दूसरा रूप माना जा सकता है क्योंकि यह शनि ग्रह के समान ही फल  या नतीजे देता है।  और केतु को मंगल तथा गुरु का दूसरा रूप माना जा सकता है क्योंकि केतु इन दोनों ग्रहों के मिश्रित फल देने की पूरी छमता रखता है। अतार्थ भले ही थोड़ी मात्रा में ही सही पर गुरु तथा शनि ग्रह भी इस तरह की बिमारियों या नकारात्मक घटनाक्रम को अंजाम देने में अपना सहयोग देते है और यह तभी होता है जब यह ग्रह गोचर में किसी विशेष स्थान याने कि घर में से युति करते हुए गुजरते है।

पिछले आंकड़ों के आधार पर यह देखा गया है कि जब भी गोचर में राहु , केतु , शनि तथा गुरु ग्रह, इनमे से किसी भी दो या तीन ग्रहों कि युति किसी विशेष स्थान या घर में से होती हुई गुजरती है तब महामारी , युद्ध ,भूकंप ,अकाल , अतिवृष्टि , हत्या , आतंकी हमला इस तरह की घटनाएं जन्म लेती है।  इसके अलावा राहु और केतु , अकेले भी गोचर में एक विशेष स्थान से भ्रमण करते हुए निकलते है तब भी इस तरह कि तकलीफे आती है।

अब हम उस दिशा की तरफ रुख करते है, उस समय की तरफ रुख करते हैं जहाँ हमें कोरोना महामारी की शुरुआत के संकेत प्राप्त हुए यानी की नवम्बर २०१९।  उस वक़्त केतु , शनि एवं गुरु गृह गोचर में धनु राशि में से एक साथ युति करते हुए भ्रमण कर रहे थे।  हमेशा देखा गया है की शनि एवं केतु की युति या शनि गुरु  की युति और साथ में केतु , यह कभी अच्छे परिणाम नहीं देती। इन ग्रहों की गोचर में भ्रमण करते वक़्त की युति हमेशा कुछ न कुछ नकारात्मक नतीजे देती है ये पिछले आंकड़ों के आधार पर भी पाया गया है।

सबसे ज्यादा अहम् एवं ध्यान देने योग्य जो बात हमारे समझ में आयी वह ये थी के आज तक पिछले समय में जब भी नकारात्मक घटनाएं हुई उस वक़्त सिर्फ एक ही गृह का गोचर भ्रमण उसके लिए जिम्मेदार था याने के कोई भी एक ग्रह चाहे वह राहु या केतु हो या शनि गुरु हो सिर्फ एक युति का गोचर नकारात्मक घटना को जन्म दे रहा था, परन्तु इस बार बात भिन्न है।  इस बार  तकलीफ या नकारात्मक घटनाओ को जन्म देने वाला भिन्न भिन्न ग्रहो का गोचर एक के बाद एक लगातार बिना ज्यादा समय दिए होता जा रहा है जिसकी वजह से हम देख रहे हैं की कोरोना महामारी लगातार बनी हुई है फिर चाहे उसकी मात्रा कभी कम हो रही हो तो कभी ज्यादा , पर उसका अंत नहीं हो पा रहा है।

तो हमने देखा कि गोचर में केतु, शनि, एवं गुरु ग्रह के धनु राशि में आपस में युति करने कि वजह से नवम्बर - दिसंबर २०१९ में इस कोरोना महामारी का आगाश हुआ। परन्तु उस समय ये बीमारी काफी छोटे पैमाने पर ही थी।  लेकिन जैसे ही शनि एवं गुरु ग्रह की गोचर में मकर राशि में युति हुई, इस बीमारी ने बड़ा रूप लेना शुरू कर दिया ।  तत्पश्चात आगे कमाल हुआ राहु ग्रह के वृषभ राशि में प्रवेश करने के बाद । यहाँ ध्यान देने योग्य बात जो है वह ये के राहु जब भी गोचर में वृषभ राशि में से गुजरता है कोई न कोई नकारात्मक घटना अवश्य होती है जो आम जनता को जबरदस्त तरीके से प्रभावित करती है।

अगर पिछले समय के राहु के वृषभ राशि के गोचर को ध्यान से देखें तो यह बात आसानी से समझ में आ जाएगी। उदाहरण के तौर पर २००२ - २००३ में राहु के वृषभ राशि के गोचर के परिणामस्वरूप सरस प्रथम ( कोरोना १स्ट ) बीमारी की शुरुआत हुई थी। और गुजरात में गोधरा हत्याकांड हुआ था जिसने पुरे देश के माहौल को हिला के रख दिया था। १९८४ - १९८५ में राहु के वृषभ राशि के गोचर में उस वक़्त की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी की हत्या हुई थी जिसके पश्चात हुए दंगो में लाखों लोग बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुई थे  ।  उसी गोचर के दरम्यान भोपाल में गैस लीक हो जाने की वजह से फिर लाखों की संख्या में आम जनता बहुत बुरी तरह से प्रभावित हूई।  वर्त्तमान परिस्थिति को जानने में और समझने में आसानी हो इसलिए एक दो पुराने उदाहरण दिए हैं।

अब हम आप सभी को यह बताने की कोशिश करेंगे की भिन्न भिन्न ग्रहो का गोचर में भिन्न भिन्न राशियों में भ्रमण कब हुआ और कहाँ तक रहा और आगे रहेगा जो यह तय करेगा की इस कोरोना महामारी को हमें कब तक झेलना होगा या दूसरे शब्दों में हमें और कब तक सावधान रहना होगा।  
१) शनि - गुरु - केतु की युति गोचर में धनु राशि में नवंबर - दिसंबर २०१९
२) शनि - गुरु की युति गोचर में मकर राशि में सर्व प्रथम अप्रैल - मई - जून २०२० में तत्पश्चात नवंबर २०२० से अप्रैल २०२१ तक।
३) आने वाले समय में शनि - गुरु की युति सितम्बर २०२१ से नवंबर २०२१ तक।
४) राहु ग्रह का गोचर वृषभ राशि में सितम्बर २०२० से अप्रैल २०२२ तक।

सभी की जानकारी के लिए हम बताना चाहते हैं कि राहु - केतु किसी भी एक राशि में गोचर में अट्ठारह महीनो तक भ्रमण करते हैं अतार्थ किसी भी राशि में तीस  डिग्री से शुन्य  डिग्री का सफर तय करने में इन ग्रहों को अट्ठारह महीनो का समय लगता है।  तीस डिग्री से शुन्य डिग्री इसलिए लिखा गया है क्योंकि राहु - केतु की चाल हमेशा वक्री (उलटी) होती है।  हर राशि में गोचर में दोबारा प्रवेश करने के लिए ये दोनों गृह अट्ठारह वर्ष का समय लेते हैं, अतार्थ वृषभ राशि में से भ्रमण करके निकलने के पश्चात वापिस वृषभ राशि में दोबारा पहुंचने में राहु - केतु को अट्ठारह वर्ष  का समय लगता है।

इन ग्रहों के ऊपर दर्शाये गए गोचर भ्रमण की वजह से कोरोना महामारी का संकट रुक रुक कर बार बार छोटे बड़े रूप में आ आ कर आम जनता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। इसी वजह से हमारा यह भी मानना है कि जब तक राहु ग्रह गोचर में वृषभ राशि में रहेगा तब तक देश  में कोरोना महामारी के आलावा दूसरा कोई संकट भी आ सकता है।  राहु जब गोचर में वृषभ राशि में से निकल कर मेष राशि में प्रवेश करेगा तत्पश्चात ही इस बीमारी से छुटकारा मिल सकेगा उसके पहले नहीं।  
हमारा यह लेख सिर्फ और सिर्फ ज्योतिष के हमारे अनुभव एवं पुराने आंकड़ों के आंकलन के आधार पर आधारित है।


-ज्योतिषाचार्य राजकिशोर
संपर्क : +९१ ९९२०२०२०२२



Comments

  1. Very interesting and informative.

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  4. very deep, detailed and analytical

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  6. इतनी जटिल बातो का आप ने इतने सरल भाषा में व्याख्या करी है उस के लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद।

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  7. Very nice and in-depth analysis!

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