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भारतीय प्रतिभा पलायन : एक क्षय

भारत के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का विश्व समाज में अलग ही दर्जा है। भारत के विद्यार्थी विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। अपने शैक्षिक गुणों के लिए भारतीय विद्यार्थियों की निपुणता देखकर विश्व भर के वैज्ञानिक एवं शिक्षक अचंभे में पड़ जाते हैं। यह एक प्रमाण है भारतीय दिमाग की उत्कृष्टता का पर यह संपदा भारत से दूर भाग रही है। भारत से हर साल प्रतिभाओं का पलायन होता है और उस पलायन की वजह से भारत का उत्कृष्ट मानव संपद का भंडार धीरे-धीरे खाली हो रहा है।

इस पलायन की वजह क्या है? वजह है भारत में उत्कृष्टता की कद्र नहीं होती है। भारत में कोई भी संस्थान इन विद्यार्थियों का मर्म नहीं समझता है या फिर हम इसे ऐसे भी देख सकते हैं कि भारतीय संस्थानों के पास उतने पैसे नहीं होते हैं। इन्हें वेतन के में देने के लिए। इसलिए विदेशी कम्पनियां इन्हें बड़ी रकम की तनख्वाह का लालच दिखाकर विदेश ले जाती हैं और यह हर साल होता है और विद्यार्थियों में दिन ब दिन पलायन की भावना और मजबूती से घर कर ले रही है, जिस कारण विद्यार्थियों में देश प्रेम की भावनाएं भी कम हो रही है।

अगर ऐसा ही चलता रहा, तो कुछ दिनों या यूं कहे कुछ वर्षों के बाद भारत को मानव संपदा की क्वॉलिटी साधारण हो जाएगी। इस लिए इस प्रतिभा पलायन को रोकना होगा और इसे रोकने के लिए प्रतिभाओं को यह जताना जरूरी है कि उनका महत्त्व इस देश में कितना है और इस देश को 'उनकी कितनी जरूरत है। इनमें उद्यमिता की भावना का संकलन करना होगा। उन्हें यहां उद्योग संस्थाएं चालू करने का प्रोत्साहन देना पड़ेगा। वह समझाना होगा कि विदेश में जाकर वह न सिर्फ़ देश के दायित्व से पल्ला झाड़ रहे हैं बल्कि अपने आपको एक खरीदा हुआ मजदूर बना रहे हैं।

सरकार को भी एक पढ़ना पड़ेगा कि वह कुछ भी करके इन सबका पलायन रोकेंगे और उन्हें आकर्षित करेंगे। अपनी मातृभूमिरता प्रतिभाओं की प्रतिभा देश को उत्कृष्ट बना सके। यह माता पिता का दायित्व बनता है कि वे ने बच्चों में शरूआत से देश छोड़ने की भावना उत्पन्न ही न होने दें, और
यह प्रतिभाएं इस देश की शक्ति है और इस देश का हक है कि वह उसकी संपत्ति की रक्षा करे ताकि एक दिन हमारे इस भारत वर्ष को अमेरिका और यूरोपीय देशों की तरह विश्व में एक पहचान मिले।

जब विश्व के सारे देश अपनी नव संपदा की रक्षा कर सकते हैं, तो फिर भारत जैसा महान देश यह क्यों नहीं कर सकता ? क्या भारत के लिए यह असंभव है? बिल्कुल नहीं भारत भली भांति अपने मानव संपदा की रक्षा करना जानता है और हम अपने देश को आगे बढ़ाएंगे। इसलिए मेरे इस प्रतिवेदन को पढ़ने वाले सारे पाठकों से मेरी यही गुजारिश है, कि वह अपने अंदर अपने देश के प्रति प्रेम की ज्योति प्रज्जवलित करें और इस बात को समझें कि हमारे नाम की पहचान और हमारे अस्तित्व की डोर हमारे देश के हाथ में ही होती है चाहे हम कहीं भी चले जाएं और हमारा देश हमेशा हमारे साथ चलता है और वह विदेशों में भी हमारी रक्षा करता है। इसलिए, अपने देश के प्रति अपना दायित्व समझें और एक सच्चे नागरिक बनें।


-प्रेरणा यादव
एमिटी कोलकाता


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