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भोजन में सलाद की महिमा

कुछ बरस पहले जब महंगाई की मार इस कदर नहीं हुआ करती थी, तब सलाद की प्लेट मुफ्त में ग्राहक को पेश की जाती थी। इस सलाद में प्याज और टमाटर के गोलाकार पतले टुकड़े के साथ एक-दो हरी मिर्च और आधा-चौथाई नींबू ही यथेष्ट समझा जाता था। बड़े रेस्तराओं और घरों में भी सलाद इससे ज्यादा अलग नहीं होता था, मूली-गाजर के साथ खीरे की कुछ फाँक भी उसमें दिख जाती थी। मजेदार बात यह है कि इसे हरा सलाद कहा जाता था, जबकि इसमें हरी धनिया पत्ती नाममात्र को ही होती थी।


अंग्रेजी में जिसे लेट्स कहते हैं, उसका हिंदी में अनुवाद सलाद की पत्ती किया जाता था। जाहिर है, इसका रिश्ता अंगेज साहबों के खान-पान से ही जोड़ा जाता था। वैसे ही जैसे गोलाकार तीखी लाल मारियो को सलाद की मूली कहा जाता था, जाड़े के मौसम में धूप में फुर्सत में बैठे लोग भले ही नमक व मिर्च मसाला के साथ ताजा मूली और गाजर तबियत से खाते हैं, पर इसे सलाद का नाम नहीं दिया जाता।

दक्षिण में खाने को किश्त में बारी-बारी से खाया जाता है। इन किश्तों को कोर्स की संज्ञा दी जाती है। भोजन की उस परंपरा में सलाद सबसे पहले भूख खोलनेवाले कोर्स के रूप में  पेश किया जाता है। बीते कुछ अरसे से हिदुस्तानी दावत में यह चलन जोरों पर है। शादी-ब्याह के लिए अनेक तरह के सलाद को सजाकर रखा जाता है। हिदुस्तानियों के लिए सबसे आम सलाद फलों के टुकड़े का सलाद यानी फ्रुट सलाद है, जो ईस्टर के साथ मिठाई के रूप में खाया-खिलाया जाता है।


विदेशों में अनेक प्रकार के सलाद ताजी सब्जियों, मांस-मछली और अंडो के साथ तैयार किये जाते हैं। कुछ में राजमा, दाल और चावल का इस्तेमाल भी होता है। जो सलाद सबसे ज्यादा मशहूर है, उनमें सीजर सलाद, वॉलडॉर्फ सलाद, चिकेन सलाद और हवाईयन सलाद आदि आते हैं। सीजर सलाद का नामकरण एक मशहूर बावर्ची के नाम पर हुआ है, जिन्होंने इसे इजाद किया था। वैसे इसमें इजाद करने जैसा कुछ था नहीं, शेफ सीजर ने हाथ से सलाद की पत्तियों को टुकड़े करके उन पर जैतून के तेल और सेब की डेसिंग छिड़क दी थी। इसमें जोर हरी पत्तियों पर होता था। वॉलडॉर्फ सलाद होटल के साथ जुड़ा है। इसमें आलू के बड़े-बड़े टुकड़े अखरोट की गिरी और मेयोनेस सॉस के साथ मिलकर तैयार किया जाता है। रूसी सलाद में आलू-चुकंदर और पनीर के टुकड़े के साथ उबलेअंडे और सॉसेज या मांस के टुकड़े भी मेयोनेस के साथ मिलायें जाते हैं। इस सलाद को मशहूर हस्तियों ने पहले-पहल वहीं चखा। रूसी सलाद को हल्का-फुल्का संतुलित भोजन भी कहा जा  सकता है।

हवाइयन सलाद में उबलते या पके मुर्ग के साथ अनायास के टुकड़े भी जरूर होते हैं। चिकेन सलाद कुछ-कुछ देसी चिकेन चाट की तरह होता है, भले ही इसका मसाला हल्का रहता है।

पश्चिमी पाक शास्त्र की पुस्तकों में सेहतमंद भोजन में सलाद का स्थान सबसे ऊपर समझा जाता है और इसे गर्मियों के लिए विशेष रूप से उपर्युक्त भोजन माना जाता है। अब सवाल यह उठता है कि भारत में सलाद का प्रचलन पारंपरिक रूप से क्यों नहीं हुआ? शायद इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि भारत की गर्म और नम आबो हवा में  कच्ची सब्जियों या पहले से पके मांस खाना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता था। भारत के लगभग हर हिस्से में रायता और पत्तियों के अनेक प्रकार खाने को मिलते हैं, जो खाने में सलाद की ही भूमिका निभाते रहे हैं।
- प्रेरणा यादव

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