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बुलेट ट्रेन

भारत में 16 अप्रैल, 1853 को 33.81 किलोमीटर लंबे मार्ग पर मुंबई से ठाणे के बीच 8 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से पहली रेलगाड़ी चलाई गई थी, किंतु आज भारत के रेल नेटवर्क ने न सिर्फ़ वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है, बल्कि विश्व के 5 बड़े रेल नेटवर्कों में इसका स्थान है। कर्मचारियों की वृहत संख्या के आधार पर 1.307 मिलियन कर्मचारी वाली भारतीय रेल विश्व की नौवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक संस्था है। भारत में रेल यातायात को तीव्र गति प्रदान करने के लिए बुलेट ट्रेन की योजना पर विचार किया गया।



विश्व में सबसे तेज चलने वाली ट्रेन को 'बुलेट ट्रेन' नाम दिया गया। पहली बुलेट ट्रेन जापान की राजधानी टोक्यों से ओसाका के मध्य 1964 में चलाई गई। बुलेट ट्रेन का आविष्कार जापान के हिद्दयों शाइमा ने किया था। शिनकानसेन नामक यह बुलेट उन दिनों 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती थी, पर आज इस ट्रेन की गति 300 किलोमीटर प्रति घंटा है। जापान के बाद फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, इटली, पोलैंड, पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, चीन आदि दशा में भी बुलेट ट्रेन पर कार्य किया जा रहा है।

भारत में भी गुजरात के अहमदाबाद में पहली बुलेट ट्रेन का शुभारंभ किया गया है। इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री के साथ मिलकर किया। अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन को दौड़ाने का सपना 15 अगस्त, 2022 को पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। जब यह ट्रेन भारत में चलने लगेगी तो भारत उन चुनिंदा देशों को कतार में शामिल हो जाएगा, जहाँ पर हाई स्पीड ट्रेन चलती हैं। भारत और जापान के बीच हुए समझौते के मुताबिक अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में जापान पूरा तकनीकी सहयोग करेगा। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भारत के लोगों को बुलेट ट्रेन चलाने की ट्रेनिंग देगा और इसके अलावा बुलेट ट्रेन तकनीक को भारत के अन्य क्षेत्रों में प्रयोग करने के लिए भी पूरी मदद करेगा। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए हाई स्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट वडोदरा में बनाया जा रहा है। इस इंस्टिट्यूट में बुलेट ट्रेन के संचालन और रखरखाव के लिए 4000 लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।


अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली पहली बुलेट ट्रेन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलाई जाएगी। मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली पहली बुलेट ट्रेन 2 घंटा 7 मिनट में सफर पूरा करेगी। इस सफ़र में चार जगहों पर ट्रेन रुकेगी, तो वहीं दूसरी तरफ़ सभी 12 स्टेशनों पर बुलेट ट्रेन रुकने की स्थिति में यह सफ़र 2 घंटा 58 मिनट में पूरा हो पाएगा। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि बुलेट ट्रेन परियोजना से देश में रोजगार के अवसर बहेंगे तथा 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा मिलेगा। 508 किलोमीटर की लंबाई वाला रूट महाराष्ट्र, गुजरात और दादरा नगर हवेली से होकर गुजरेगा। महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन रूट का 156 किलोमीटर का हिस्सा, गुजरात में 351 किलोमीटर का हिस्सा और केंद्र शासित प्रदेश दादरा नगर हवेली से 2 किलोमीटर का हिस्सा गुजरेगा। बुलेट ट्रेन रूट पर कई सुरंगे होंगी और इनमें से सबसे लंबी सुरंग 21 किलोमीटर की होगी। इसके अलावा अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन रूट का 7 किलोमीटर का हिस्सा ठाणे क्रिक में समुद्र के नीचे से होकर गुजरेगा।

भारत में बुलेट ट्रेन के सकारात्मक पहलुओं के साथ कुछ अन्य पक्षों पर भी विचार करना होगा। जापान जैसे संपन्न देशों की तुलना में भारत का रेल- तंत्र काफ़ी कमजोर है। भारत जैसे विकासशील देश में बुलेट ट्रेन चलाने की योजना से यहाँ की अर्थव्यवस्था पर भी भारी बोझ पड़ेगा। दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम रेलवे की कुछ परियोजनाओं को पूर्ण होने में पाँच दशक का समय भी लग सकता है, क्योंकि परियोजना के अनुरूप धनराशि आवंटित नहीं हो पाएगी। फिर भारत जैसे देश में जहाँ 'राजधानी' और 'शताब्दी एक्सप्रेस' जैसी महंगी ट्रेनों में यात्र करने के लिए आम आदमी को काफी कुछ सोचना पड़ता है, वहाँ विमान यात्रा के किराये के बराबर व्यय वाली बुलेट ट्रेनों को पटरियों पर दौड़ाना आर्थिक स्तर पर कितना लाभप्रद और लोगों के हित में होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

-प्रेरणा यादव

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