मनुष्य के जीवन में एकता का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। हम सभी जानते हैं कि एकता में शक्ति है और एकता के बल पर हम बड़े-बड़े कार्य सरलता से कर सकते हैं। जैसा कि हम सभी यह भी जानते हैं कि हमारे देश भारत को आपसी फूट के कारण बहुत नुकसान हुआ और सभी का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
भारत में अलग-अलग धर्म, जाति व भाषा के लोग रहते हैं, इसीलिए भारत को अनेकता में एकता का देश कहा जाता है। यदि कभी भी, कहीं भी धर्म या जाति के नाम पर लड़ाई हुई है, वहीं देश की एकता टूट गई, जिसका आर्थिक नुकसान तो हुआ ही, साथ में दुश्मन ने भी इसका बहुत लाभ उठाया, प्रेम की जगह घृणा ने जन्म लिया।
हमारे नेताओं ने आपसी वैमनस्य को मिटाने के लिए अनेक कष्ट उठाए। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसके लिए अपना जीवन भी बलिदान कर दिया।
आज भी धर्म के नाम पर देश को तोड़ने की कोशिश हो रही है। हमें ऐसे नेताओं से बचकर रहना चाहिए। ये स्वार्थी नेता अपनी कुरसी बचाने के लिए धर्म-जाति के आधार पर वोट बैंक तैयार करते हैं। ऐसे नेता देश को बरबाद कर रहे हैं। यदि हमें देश की प्रगति करनी है, तो जातिगत भेदभाव भुलाकर एकता के बंधन में बंधना होगा, तभी हम भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बना पाएँगे।
-प्रेरणा यादव
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