दीपों का त्योहार दीपावली

भारत त्योहारों का देश है। यहाँ अनेक त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे-होली, दीपावली, दशहरा, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस आदि। इनमें से दीपावली का त्योहार अत्यंत पवित्र एवं उल्लासपूर्ण होता है।


दीपावली का अर्थ है ' दीपों को अवली' अर्थात दीपों की पंक्ति। दोपों की पंक्तियों को इस प्रकार सजाया जाता है कि ये लोगों के दिलों में उमंग एवं हर्ष भर देती है, इसीलिए इसका नाम दीपावली रखा गया। हर त्योहार के साथ कोई-न-कोई पौराणिक कथा अवश्य जुड़ी रहती है। कहा जाता है कि श्रीराम रावण को मारकर और चौदह वर्ष का वनवास काटकर इस दिन अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आए थे। उनके स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने अपने-अपने घरों में घी के दीये जलाए थे, इसीलिए यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक मनाया जाता है। प्रयोदशों को धनतेरस मनाई जाती है। इस दिन लोग वर्तन खरीदना शुभ मानते हैं। अगले दिन छोटी दीपावली या नरक चौदस मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन कृष्ण भगवान ने नरकासुर का वध किया था। तीसरे दिन दीपावली का पावन पर्व मनाया जाता है। लोग कई दिन पहले से ही घर की लिपाई-पुताई तथा सजावट आदि करते हैं। रात में लक्ष्मी पूजन किया जाता है। लोग अपने संबंधियों,  पड़ोसियों एवं मित्रों को मिठाई या उपहार आदि देते हैं।
बच्चे नए-नए कपड़े पहनते हैं तथा आतिशबाजी चलाकर आनंदित होते हैं। चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। पाँचवें और अंतिम दिन भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है।

दीपावली का त्योहार पवित्रता का प्रतीक है। इस दिन कुछ लोग जुआ खेलते हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम इस बुराई को दूर करें। जैसे दीपक अंधकार का नाश कर देता है, उसी प्रकार हमें भी अज्ञान, भेदभाव, अंधविश्वास तथा घृणा के अंधकार को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए।

- प्रेरणा यादव

No comments:

Post a Comment