कोरोना से जुड़े अहम सवाल

आंकड़ों को दर्ज करने के मामले में भारतीय स्वास्थ्य प्रबंधन तंत्र कभी अच्छा नहीं रहा। बीमारियों के मामलों को दर्ज करने में पूर्वाग्रह की स्थिति रही है। यह स्थिति कोविड-19 महामारी में भी जारी है। उदाहरण के तौर पर तेलंगाना में छह डॉक्टर ने लिखा कि कैसे राज्य के कुल आंकड़ों में कोविड 19 से होनेवाली मौतों का जिक्र नहीं किया जा रहा है।

कोविड-19 से संबंधित मौतों को दर्ज करने के प्रोटोकॉल में लापरवाही का यह एक नमूना है। संशय इस बात को लेकर भी है कि केंद्र स्वयं कैसे इन आकडो को दर्ज कर रहा है। आधिकारिक बयान दिया गया कि अब महामारी का वक्त नीचे की तरफ हो जायेगा। मेडिकल प्रबंधन पर सरकार की सशक्त समिति ने 24 अप्रैल के सप्ताहांत में अनुमान लगाया कि मई के आखिर तक महामारी खत्म हो जायेगी। कुछ अज्ञात कारणों से सरकार ने 5 मई को घोषणा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर कोविड-19 से जुड़े मामलों को रोजाना दो बार दर्ज करने की बजाय अब एक बार ही अपडेट किया जायेगा।

कोविड-19 से जुड़े मामलों की संख्या और इससे उत्पन्न कठिनाई एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर खुलकर चर्चा करने की जरूरत है। एक तरह से दर्ज आंकड़ा भारत की जनसंख्या के अनुपात में काफी कम है।

क्या सार्वजनिक बीबीजी टीकाकरण की वजह से कुछ प्रतिरक्षा प्राप्त हुई है? दूसरी ओर, लग रहा है कि भारत में मामलों के दोगुना होने की दर इटली के मुकाबले तेज हो चुकी है। भारत में 24 मार्च से 30 अप्रैल के बीच संक्रमण के मामले 257 से बढ़कर 34,863 हो गएं। यह अवधि लॉकडाउन क पहले और पिछले महीने के अंत तक की है। इटली में 1 मार्च को जहां 1694 मामले थे, वह 30 अप्रैल को 205463 हो गई। यानी इसमें सात गुना की बढ़ोतरी हुई।

जहां अधिक मामले हो, वे अधिक मदद और यहां तक कि धन की मांग कर सके, इसके लिए ईमानदार और पारदर्शी आंकड़ों का बाहर आना जरूरी है, जिससे महामारी से लड़ाई में हमें बेहतर मदद मिलेगी। हमें यह समझना होगा कि महामारी का समय आंकड़ों के हेरफेर का नहीं है। आइए हम इस बीमारी का इलाज करें। आंकड़ों से इस महामारी की सही स्थिति को दर्शाना सबसे अच्छा तरीका है ।

-भावना भारती
एमिटी यूनिवर्सिटी
कोलकाता

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